आफ्टरशॉक (Aftershock) मुख्य भूकंप के बाद आने वाले छोटे भूकंपीय झटके होते हैं, जो भूकंप के कारण बनी भूगर्भीय अस्थिरता के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं। ये झटके मुख्य भूकंप की तुलना में कम तीव्रता के होते हैं, लेकिन कभी-कभी यह भी गंभीर क्षति पहुंचा सकते हैं। आफ्टरशॉक्स की संख्या और तीव्रता मुख्य भूकंप की तीव्रता, गहराई और भूकंप वाले क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना पर निर्भर करती है।
परिभाषा
आफ्टरशॉक वे भूकंपीय झटके होते हैं जो किसी बड़े भूकंप के बाद उसी क्षेत्र में घटित होते हैं और मूल भूकंप के कारण संचित ऊर्जा के धीरे-धीरे मुक्त होने की प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं।
आफ्टरशॉक की विशेषताएँ
मुख्य भूकंप के बाद घटित होते हैं – ये झटके मुख्य भूकंप के बाद कुछ मिनटों से लेकर महीनों या वर्षों तक महसूस किए जा सकते हैं।
तीव्रता में कम होते हैं – आमतौर पर आफ्टरशॉक की तीव्रता मुख्य भूकंप से कम होती है, लेकिन कभी-कभी यह भी घातक साबित हो सकते हैं।
संख्या में घटते जाते हैं – आफ्टरशॉक की संख्या समय के साथ घटती जाती है, लेकिन शुरुआत में ये बार-बार महसूस किए जा सकते हैं।
मुख्य भूकंप के केंद्र के आसपास होते हैं – आफ्टरशॉक आमतौर पर मुख्य भूकंप के फॉल्ट लाइन के आसपास ही उत्पन्न होते हैं।
कारण और भूगर्भीय प्रक्रिया
भूकंप पृथ्वी के भीतर मौजूद टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल के कारण उत्पन्न होते हैं। जब किसी क्षेत्र में भूकंप आता है, तो उस क्षेत्र की चट्टानें और फॉल्ट लाइन्स अचानक से बहुत अधिक तनावमुक्त हो जाती हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में बची हुई ऊर्जा धीरे-धीरे मुक्त होती रहती है। यही ऊर्जा आफ्टरशॉक के रूप में दर्ज की जाती है।
आफ्टरशॉक का प्रभाव
आफ्टरशॉक कभी-कभी पहले से क्षतिग्रस्त इमारतों और संरचनाओं को और अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।
बड़े आफ्टरशॉक्स भूस्खलन, सुनामी या अन्य प्राकृतिक आपदाओं को भी जन्म दे सकते हैं।
लोग भयभीत होकर घरों और ऊँची इमारतों से बाहर आ जाते हैं, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
आर्थिक क्षति बढ़ सकती है क्योंकि इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेवाएं पहले से ही कमजोर हो चुकी होती हैं।
प्रमुख आफ्टरशॉक उदाहरण
2015 नेपाल भूकंप – अप्रैल 2015 में नेपाल में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप के बाद कई आफ्टरशॉक्स महसूस किए गए, जिनमें से एक 7.3 तीव्रता का था।
2004 सुमात्रा-अंडमान भूकंप – इस भूकंप के बाद कई आफ्टरशॉक्स दर्ज किए गए, जिनमें से कुछ 6.0 से अधिक तीव्रता के थे।
2011 जापान भूकंप और सुनामी – 9.0 तीव्रता के मुख्य भूकंप के बाद 7.9 और 7.7 तीव्रता के कई आफ्टरशॉक्स आए, जिससे भारी नुकसान हुआ।
निगरानी और पूर्वानुमान
वैज्ञानिक आफ्टरशॉक की निगरानी के लिए सिस्मोग्राफ (Seismograph) और अन्य भूकंपीय उपकरणों का उपयोग करते हैं। हालांकि, आफ्टरशॉक के समय और तीव्रता का सटीक पूर्वानुमान लगाना कठिन होता है। आमतौर पर "ओमोरी लॉ" (Omori Law) के आधार पर यह बताया जाता है कि आफ्टरशॉक्स की संख्या समय के साथ घटती जाती है।
सुरक्षा उपाय
आफ्टरशॉक के दौरान खुले स्थान पर रहने की सलाह दी जाती है।
कमजोर इमारतों और संरचनाओं में प्रवेश करने से बचना चाहिए।
भूकंप सुरक्षा किट तैयार रखनी चाहिए जिसमें आवश्यक वस्तुएं जैसे टॉर्च, रेडियो, प्राथमिक चिकित्सा सामग्री आदि हों।
सरकारी और वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा जारी निर्देशों का पालन करना चाहिए।
निष्कर्ष
आफ्टरशॉक किसी भी बड़े भूकंप के बाद की स्वाभाविक प्रक्रिया होती है, लेकिन यह कभी-कभी मुख्य भूकंप से भी अधिक नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। इसलिए, आफ्टरशॉक के दौरान सतर्कता और सुरक्षा उपायों को अपनाना आवश्यक है। वैज्ञानिक प्रयासों के बावजूद, इनकी भविष्यवाणी करना कठिन होता है, लेकिन जागरूकता और सतर्कता से नुकसान को कम किया जा सकता है।