औरंगज़ेब (Aurangzeb)

औरंगज़ेब, मुगल सम्राट शाहजहाँ और मुमताज़ महल के पुत्र थे। वे मुगल साम्राज्य के छठे और सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले सम्राट थे। अपने पिता शाहजहाँ को बंदी बनाकर 1658 में सत्ता प्राप्त करने वाले औरंगज़ेब ने लगभग 49 वर्षों तक शासन किया। उनके शासनकाल में मुगल साम्राज्य अपनी चरम सीमा पर पहुँचा, लेकिन उनकी नीतियों के कारण बाद में इसके पतन की नींव भी पड़ी।


औरंगज़ेब (Aurangzeb)


शासन और विस्तार

औरंगज़ेब को एक कठोर शासक और एक कट्टर सुन्नी मुसलमान के रूप में जाना जाता है। उन्होंने इस्लामी क़ानून (शरिया) को अपने शासन की नींव बनाया और कई हिंदू उत्सवों और रीति-रिवाजों पर प्रतिबंध लगाए। उन्होंने जज़िया कर फिर से लागू किया, जो गैर-मुस्लिमों से लिया जाता था।


उनके शासनकाल में मुगल साम्राज्य ने दक्षिण भारत में दक्कन और मराठा क्षेत्रों तक अपनी सीमा का विस्तार किया। हालाँकि, मराठा शासक शिवाजी के साथ उनके संघर्ष ने उनके शासन को चुनौती दी। शिवाजी की गुरिल्ला युद्धनीति औरंगज़ेब के लिए एक बड़ी समस्या बनी रही।


प्रमुख नीतियाँ और कार्य

धार्मिक नीतियाँ: उन्होंने इस्लामिक नियमों को सख्ती से लागू किया, कई मंदिरों को ध्वस्त कराया, और संगीत व चित्रकला पर प्रतिबंध लगा दिया।

विस्तार नीति: उन्होंने बंगाल, असम, और दक्षिण भारत तक मुगल साम्राज्य का विस्तार किया, लेकिन लंबी लड़ाइयों ने साम्राज्य की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर दिया।

प्रशासनिक सुधार: उन्होंने कई कर प्रणालियों में बदलाव किए, मगर उनकी कठोर नीतियाँ किसानों और ज़मींदारों के बीच असंतोष का कारण बनीं।


अंत और मृत्यु

अपने शासन के अंतिम वर्षों में औरंगज़ेब को लगातार विद्रोहों का सामना करना पड़ा। 1707 में अहमदनगर में उनकी मृत्यु हो गई। उनके बाद मुगल साम्राज्य कमजोर होने लगा और जल्द ही ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और अन्य विदेशी शक्तियों के प्रभाव में आ गया।


विरासत और प्रभाव

औरंगज़ेब भारतीय इतिहास के सबसे विवादास्पद शासकों में से एक रहे हैं। कुछ इतिहासकार उन्हें एक कुशल प्रशासक और योद्धा मानते हैं, जबकि अन्य उन्हें असहिष्णु और धार्मिक रूप से कट्टर मानते हैं। उनके शासनकाल के दौरान मुगल साम्राज्य का विस्तार हुआ, लेकिन उनकी नीतियों ने साम्राज्य के पतन को भी तेज कर दिया।