हिमस्खलन (Avalanche)

हिमस्खलन (Avalanche) एक प्राकृतिक आपदा है जिसमें भारी मात्रा में बर्फ तेजी से ढलान पर नीचे गिरती है। यह घटना मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में होती है, जहां बर्फ की परत अस्थिर हो जाती है और गुरुत्वाकर्षण बल के कारण तीव्र गति से नीचे गिरती है। हिमस्खलन से बड़े पैमाने पर जान-माल की हानि हो सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पर्यटन, सैन्य गतिविधियां और मानव बस्तियां स्थित होती हैं।


हिमस्खलन (Avalanche)


हिमस्खलन के प्रकार

स्लैब हिमस्खलन (Slab Avalanche) – यह सबसे खतरनाक प्रकार का हिमस्खलन होता है, जिसमें बर्फ की एक पूरी परत टूटकर नीचे गिरती है।

ढीली बर्फ हिमस्खलन (Loose Snow Avalanche) – यह तब होता है जब ताजा गिरी बर्फ छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखरकर नीचे गिरती है।

आइस फॉल हिमस्खलन (Icefall Avalanche) – जब किसी हिमखंड (Glacier) का कोई हिस्सा टूटकर गिरता है, तो यह प्रकार देखा जाता है।

गीली बर्फ हिमस्खलन (Wet Snow Avalanche) – यह तब होता है जब बर्फ में पानी मिल जाने से उसका भार बढ़ जाता है और वह ढलान पर तेजी से फिसलने लगती है।


हिमस्खलन के कारण 

हिमस्खलन कई प्राकृतिक और मानव-जनित कारणों से हो सकता है:

मौसम परिवर्तन – अचानक भारी बर्फबारी, तापमान वृद्धि, और वर्षा हिमस्खलन को ट्रिगर कर सकती है।

भूकंप और कंपन – भूकंप, तेज आवाज या किसी अन्य प्रकार का कंपन बर्फ को अस्थिर कर सकता है।

मानवीय गतिविधियां – पर्वतारोहण, स्कीइंग, सड़क निर्माण और विस्फोटक गतिविधियां हिमस्खलन को उत्प्रेरित कर सकती हैं।

हवा और ढलान की प्रवृत्ति – तेज़ हवा से बर्फ की परतें कमजोर हो सकती हैं और अधिक ढलान वाले क्षेत्रों में हिमस्खलन का जोखिम अधिक होता है।


हिमस्खलन से बचाव और सुरक्षा उपाय


हिमस्खलन संभावित क्षेत्रों में चेतावनी प्रणाली और पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करना।

पर्वतीय क्षेत्रों में जाने से पहले मौसम और बर्फ की स्थिति की जानकारी लेना।

हिमस्खलन सुरक्षा उपकरण जैसे बैकपैक एयरबैग, बर्फ जांचने की छड़ी और ट्रांसमीटर का उपयोग करना।

प्रशिक्षित बचाव दलों और खोजी कुत्तों की सहायता से तेजी से राहत एवं बचाव कार्य करना।

हिमस्खलन संभावित क्षेत्रों में निर्माण कार्य को नियंत्रित करना और उचित सतर्कता बरतना।


भारत में हिमस्खलन की घटनाएं 

भारत के हिमालयी क्षेत्रों जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और सिक्किम में हिमस्खलन की घटनाएं आम हैं। भारतीय सेना और पर्वतारोहियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती होती है। भारत सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियां, जैसे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), हिमस्खलन के पूर्वानुमान और बचाव कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाती हैं। भारतीय सेना और इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।


निष्कर्ष

हिमस्खलन एक गंभीर प्राकृतिक आपदा है जो पर्यावरणीय और मानवीय गतिविधियों से प्रभावित होती है। इसके प्रभावों को कम करने के लिए सतर्कता, नवीनतम तकनीकों और आपदा प्रबंधन योजनाओं की आवश्यकता होती है। हिमस्खलन प्रवण क्षेत्रों में जागरूकता और उचित सुरक्षा उपाय अपनाकर इससे होने वाली हानि को काफी हद तक रोका जा सकता है।