बिबेक देबरॉय (Bibek Debroy)

डॉ. बिबेक देबरॉय भारत के एक प्रख्यात अर्थशास्त्री, शिक्षाविद् और विद्वान थे, जो आर्थिक नीति, सार्वजनिक नीति, इतिहास, संस्कृति, और प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अनुवाद के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। वे प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति (Economic Advisory Council to the Prime Minister - EAC-PM) के अध्यक्ष थे और नीति आयोग के सदस्य के रूप में भी कार्य कर चुके थे। अपनी विद्वता के चलते उन्हें भारत सरकार और कई महत्वपूर्ण संस्थानों के साथ जुड़ने का अवसर मिला।


बिबेक देबरॉय (Bibek Debroy)

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

बिबेक देबरॉय का जन्म 1 जनवरी 1955 को हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा रामकृष्ण मिशन विद्यालय, नरेंद्रपुर में हुई। इसके बाद उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से शिक्षा प्राप्त की। उच्च शिक्षा के लिए वे ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज गए, जहाँ उन्होंने प्रतिष्ठित ट्रिनिटी स्कॉलरशिप अर्जित की और अपना शोध कार्य पूरा किया।


शैक्षणिक और व्यावसायिक करियर

बिबेक देबरॉय ने अपने करियर की शुरुआत 1979 में प्रेसीडेंसी कॉलेज में एक शिक्षक के रूप में की और 1983 तक यहाँ कार्य किया। इसके बाद वे पुणे के गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स में 1983 से 1987 तक जुड़े रहे। अपने शैक्षणिक करियर में उन्होंने भारत और विदेशों के कई संस्थानों में अध्यापन और शोध कार्य किया और अनेक किताबें लिखीं।


सरकारी सेवाओं में योगदान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में डॉ. देबरॉय का विशेष योगदान रहा। 2015 में उन्हें नीति आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था, जहाँ उन्होंने सरकार की आर्थिक नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2017 में उन्हें प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वे भारत में मैक्रोइकोनॉमिक्स, राजकोषीय नीति, रोजगार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के पुनर्गठन और रेलवे के सुधार जैसे मुद्दों पर सरकार को सलाह देते रहे। उन्होंने रेलवे के पुनर्गठन के लिए बनाई गई समिति की अध्यक्षता भी की और रेलवे में सुधार हेतु अपने सुझाव दिए।


धर्म, संस्कृति और अनुवाद कार्य

डॉ. बिबेक देबरॉय को भारतीय संस्कृति और प्राचीन ग्रंथों में गहरी रुचि थी। उन्होंने महाभारत, रामायण, भगवद गीता और कई अन्य धार्मिक ग्रंथों का अंग्रेजी में अनुवाद किया। उनका उद्देश्य इन ग्रंथों को युवाओं के लिए सुलभ बनाना था। उनके अनुवाद कार्य और लेखन से भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को समझने में विश्वभर के पाठकों को सहायता मिली। उनके द्वारा अनुवाद किए गए ग्रंथों में महाभारत का अनुवाद विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जो 10 खंडों में प्रकाशित हुआ।


प्रकाशित रचनाएँ

बिबेक देबरॉय ने आर्थिक नीति, संस्कृति, और भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं पर कई पुस्तकें और शोध लेख लिखे। उनके प्रसिद्ध ग्रंथों में महाभारत का अनुवाद, भगवद गीता, रामायण, और कई अन्य पुराणों का अनुवाद शामिल है। इसके अतिरिक्त उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था, कर नीति और सार्वजनिक नीति पर भी किताबें लिखी हैं।


सम्मान और पुरस्कार

अपने योगदान और विद्वता के लिए डॉ. बिबेक देबरॉय को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया। वे एक प्रमुख शिक्षाविद् और अनुसंधानकर्ता थे, जिनके योगदान ने उन्हें आर्थिक और सांस्कृतिक दोनों ही क्षेत्रों में एक विशेष पहचान दिलाई।


निधन

डॉ. बिबेक देबरॉय का निधन 1 नवंबर 2024 को हुआ। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई प्रमुख नेताओं ने शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें एक महान विद्वान और बहुआयामी ज्ञान रखने वाले व्यक्ति के रूप में याद किया।