भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)

भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards - BIS) भारत की राष्ट्रीय मानकीकरण संस्था है, जो उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और उद्योगों के लिए गुणवत्ता मानक विकसित करने का कार्य करती है। यह संस्था भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत कार्य करती है।


भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)



स्थापना और इतिहास

भारतीय मानक ब्यूरो की स्थापना 12 अक्टूबर 1946 को भारतीय मानक संस्थान (ISI) के रूप में हुई थी। बाद में, इसे एक वैधानिक निकाय बनाने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 1986 पारित किया गया और 1 जनवरी 1987 को BIS अस्तित्व में आया। इस अधिनियम को भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया, जिससे BIS को अधिक शक्तियां और दायित्व प्राप्त हुए।


उद्देश्य और कार्य

BIS का प्रमुख उद्देश्य उत्पादों, सेवाओं और प्रणालियों के लिए मानक तैयार करना और गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:

  • राष्ट्रीय मानकों का निर्माण – विभिन्न क्षेत्रों के लिए मानकों का निर्धारण और उनका क्रियान्वयन।
  • प्रमाणीकरण (Certification) – उत्पादों को ISI मार्क प्रदान करना, जो गुणवत्ता और सुरक्षा की गारंटी होती है।
  • प्रयोगशाला परीक्षण – उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए परीक्षण और प्रमाणन।
  • हॉलमार्किंग – स्वर्ण और रजत आभूषणों की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए हॉलमार्क प्रमाणन।
  • उपभोक्ता जागरूकता – गुणवत्ता नियंत्रण और मानकीकरण के प्रति जागरूकता फैलाना।
  • अंतर्राष्ट्रीय समन्वय – ISO (International Organization for Standardization) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग।


प्रमाणन और मानक चिह्न

BIS विभिन्न प्रकार के प्रमाणन कार्यक्रम चलाता है, जिनमें प्रमुख हैं:

  • ISI मार्क – औद्योगिक उत्पादों की गुणवत्ता का प्रतीक।
  • AGMARK – कृषि उत्पादों के लिए गुणवत्ता प्रमाणन।
  • हॉलमार्किंग – सोने और चांदी के आभूषणों के लिए प्रमाणन।
  • ईको मार्क – पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों के लिए प्रमाणन।


मुख्यालय और संरचना

भारतीय मानक ब्यूरो का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और इसके 5 क्षेत्रीय कार्यालय तथा 20 शाखा कार्यालय देशभर में कार्यरत हैं। BIS के प्रमुख अधिकारी महानिदेशक होते हैं, जो संस्था के प्रशासन और संचालन के लिए जिम्मेदार होते हैं।