जनगणना एक आधिकारिक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी देश की जनसंख्या, उनके सामाजिक, आर्थिक, और भौगोलिक आँकड़ों का संकलन किया जाता है। भारत में, जनगणना हर 10 वर्षों में आयोजित की जाती है और इसका उद्देश्य सरकार को योजना, विकास और नीति-निर्धारण में सहायता प्रदान करना है। जनगणना का मुख्य कार्य भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त द्वारा संचालित किया जाता है।
इतिहास
भारत में पहली आधिकारिक जनगणना 1872 में ब्रिटिश शासन के दौरान शुरू हुई थी। लेकिन आधुनिक भारत में पहली संगठित जनगणना 1881 में आयोजित की गई थी और तब से इसे हर दस साल पर लगातार संचालित किया जा रहा है। भारतीय स्वतंत्रता के बाद, यह प्रक्रिया और अधिक व्यवस्थित रूप में आगे बढ़ी और इसके प्रबंधन की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय को सौंपी गई।
उद्देश्य और महत्व
जनगणना का मुख्य उद्देश्य जनसंख्या की सटीक गणना करना है, जो कि राष्ट्रीय विकास, आर्थिक नीतियों, और विभिन्न सामाजिक योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने में सहायक होती है। इसके अलावा, जनगणना से प्राप्त आंकड़े देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और आवास जैसी आवश्यकताओं की पहचान करने में भी सहायक होते हैं।
जनगणना प्रक्रिया
जनगणना की प्रक्रिया में सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर जनसंख्या से जुड़े विभिन्न आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं। इसमें व्यक्तिगत जानकारी, जैसे उम्र, लिंग, धर्म, मातृभाषा, शिक्षा, और पेशे का विवरण शामिल होता है। भारत में, जनगणना की प्रक्रिया दो चरणों में होती है - गृह सूचीकरण और जनसंख्या गणना। गृह सूचीकरण में घरों का पंजीकरण होता है, जबकि जनसंख्या गणना में परिवार के सदस्यों की गणना और उनके सामाजिक और आर्थिक विवरणों का संकलन किया जाता है।
प्रमुख विशेषताएँ
- मौजूदा जनसंख्या: जनगणना में देश की मौजूदा जनसंख्या का सटीक आंकड़ा मिलता है, जिससे क्षेत्रीय संतुलन और संसाधनों का सही आवंटन किया जा सकता है।
- भाषा और धर्म: भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, जनगणना विभिन्न भाषाओं और धर्मों के अनुयायियों की संख्या और वितरण की जानकारी देती है।
- आर्थिक और सामाजिक आँकड़े: इसमें कार्यरत और गैर-कार्यरत जनसंख्या, शिक्षित और अशिक्षित लोगों, और विभिन्न आर्थिक वर्गों से जुड़े आंकड़े शामिल होते हैं, जो आर्थिक नीतियों के निर्माण में सहायक होते हैं।
जनगणना से जुड़े विवाद
कई बार जनगणना प्रक्रिया से जुड़े विवाद भी सामने आते हैं। इनमें जाति जनगणना का मुद्दा प्रमुख है, जिसे कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों द्वारा उठाया गया है। जनगणना में जातिगत आंकड़ों के शामिल किए जाने से कई सामाजिक और आर्थिक योजनाओं को आकार देने में सहायता मिल सकती है, लेकिन इसे लेकर राजनीतिक मतभेद भी हैं। इसके अतिरिक्त, जनगणना में धार्मिक आंकड़े, क्षेत्रीय असमानता, और सटीकता को लेकर भी विवाद होते हैं।
आधुनिक तकनीक और डिजिटल जनगणना
2021 में होने वाली जनगणना के लिए भारत सरकार ने डिजिटल तकनीक का उपयोग करने की योजना बनाई थी, जिससे आंकड़ों का संग्रहण और विश्लेषण अधिक सुगम हो सके। हालाँकि, कोविड-19 महामारी के कारण इस जनगणना में देरी हुई, परंतु भविष्य में डिजिटल उपकरणों के प्रयोग से डेटा की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ेगी।
जनगणना 2021
भारत की 2021 की जनगणना, जिसे डिजिटल तरीके से आयोजित करने की योजना थी, कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई। यह जनगणना डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आधारित होगी और भारत की पहली डिजिटल जनगणना मानी जाएगी। सरकार ने घोषणा की है कि यह प्रक्रिया जल्द ही फिर से शुरू की जाएगी और यह जनगणना नए जमाने की तकनीकों के साथ जुड़ेगी।