ब्रिक्स (BRICS) पाँच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं - ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका - का एक समूह है। इसका गठन वैश्विक स्तर पर विकासशील देशों के प्रभाव और आवाज को मजबूत करने के लिए किया गया था। BRICS का नाम इन देशों के पहले अक्षरों से लिया गया है। यह संगठन आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
इतिहास: ब्रिक्स की नींव 2001 में उस समय पड़ी जब गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ'नील ने "BRIC" शब्द का उपयोग करके ब्राजील, रूस, भारत और चीन के समूह का उल्लेख किया था। इन देशों को भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण शक्ति बनने की संभावना के आधार पर चिन्हित किया गया। 2006 में इन देशों के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक हुई। इसके बाद 2009 में पहली बार BRIC देशों के प्रमुखों का शिखर सम्मेलन रूस के येकातेरिनबर्ग में आयोजित किया गया। 2010 में दक्षिण अफ्रीका को शामिल किया गया, जिससे इसका नाम BRICS हो गया।
उद्देश्य: BRICS का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना, वैश्विक शासन में सुधार करना, विकासशील देशों की आवाज़ को बढ़ाना और विभिन्न वैश्विक मुद्दों जैसे व्यापार, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, और विकास पर संयुक्त रूप से काम करना है।
संरचना: BRICS की कोई औपचारिक संरचना या मुख्यालय नहीं है। यह सदस्य देशों द्वारा आयोजित शिखर सम्मेलनों के माध्यम से कार्य करता है। हर वर्ष एक सदस्य देश में ब्रिक्स का शिखर सम्मेलन होता है जिसमें सदस्य देशों के प्रमुख भाग लेते हैं और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
मुख्य संगठन और संस्थाएँ:
नई विकास बैंक (NDB): ब्रिक्स देशों ने 2014 में एक नई विकास बैंक (NDB) की स्थापना की, जिसका मुख्यालय शंघाई, चीन में है। इसका उद्देश्य विकासशील देशों को इन्फ्रास्ट्रक्चर और सतत विकास परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
कंटीजेंसी रिजर्व अरेंजमेंट (CRA): 2015 में BRICS ने वैश्विक वित्तीय अस्थिरता से निपटने के लिए कंटीजेंसी रिजर्व अरेंजमेंट (CRA) की स्थापना की। इसका उद्देश्य सदस्य देशों को मुद्रा संकट के दौरान वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
सदस्य देश:
ब्राजील:
दक्षिण अमेरिका में स्थित, ब्राजील ब्रिक्स का एक महत्वपूर्ण सदस्य है। यह समूह के भीतर कृषि और संसाधन संपन्नता में एक प्रमुख योगदानकर्ता है।
रूस:
रूस ऊर्जा, विशेष रूप से तेल और गैस उत्पादन में एक प्रमुख शक्ति है। इसका भौगोलिक महत्व और ऊर्जा संसाधन वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।
भारत:
भारत तेजी से विकसित होती हुई अर्थव्यवस्था है। अपनी विशाल जनसंख्या और विविधता के साथ, भारत ब्रिक्स में आईटी, सेवा उद्योग और अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
चीन:
चीन दुनिया की सबसे बड़ी दूसरी अर्थव्यवस्था है। यह BRICS में आर्थिक वृद्धि और निवेश के मामले में प्रमुख भूमिका निभाता है।
दक्षिण अफ्रीका:
दक्षिण अफ्रीका BRICS का सबसे नया सदस्य है और यह अफ्रीका महाद्वीप का प्रतिनिधित्व करता है। यह समूह में संसाधन आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता है।
महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन: BRICS के शिखर सम्मेलन हर वर्ष आयोजित किए जाते हैं। इनमें आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ सुरक्षा, तकनीकी विकास, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक राजनीति और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर चर्चा होती है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन इस प्रकार हैं:
2009: पहला शिखर सम्मेलन येकातेरिनबर्ग, रूस में हुआ।
2014: ब्रिक्स देशों ने नई विकास बैंक की स्थापना पर सहमति जताई।
2020: COVID-19 महामारी के दौरान, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 12वां शिखर सम्मेलन हुआ, जिसमें वैश्विक स्वास्थ्य संकट पर चर्चा की गई।
वर्तमान चुनौतियाँ: हालांकि BRICS देशों ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ मौजूद हैं:
आंतरिक विरोधाभास: सदस्य देशों के बीच भौगोलिक, राजनीतिक और आर्थिक विरोधाभास हैं, जो कभी-कभी संगठन के भीतर तालमेल को बाधित करते हैं।
असमान विकास दर: BRICS देशों की आर्थिक विकास दर में काफी असमानता है, जिससे उनके साझा उद्देश्यों पर प्रभाव पड़ता है।
वैश्विक स्थिति: वर्तमान में वैश्विक राजनीति में तनाव और व्यापार युद्ध जैसे मुद्दे BRICS देशों के सहयोग पर असर डाल सकते हैं।
भविष्य की दिशा: BRICS का भविष्य उसकी क्षमता पर निर्भर करता है कि वह अपने आंतरिक मतभेदों को हल करके वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होकर काम कर सके। आने वाले समय में BRICS ऊर्जा, डिजिटल अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक स्वास्थ्य में अहम योगदान दे सकता है।
निष्कर्ष: BRICS एक ऐसा मंच है जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं के हितों की रक्षा करने और वैश्विक शक्ति संतुलन में सुधार करने का प्रयास करता है। यह संगठन आर्थिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर विकासशील देशों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर यह अपने सदस्य देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करता है, तो BRICS भविष्य में वैश्विक शक्ति संतुलन में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।