क्रेडिट कार्ड एक वित्तीय उपकरण है जो उपभोक्ताओं को सामान और सेवाओं की खरीदारी के लिए उधार लेने की सुविधा प्रदान करता है। क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान कार्डधारक को एक क्रेडिट सीमा निर्धारित करता है, जिसके भीतर वे खर्च कर सकते हैं। कार्डधारक को हर महीने अपने खर्च का विवरण मिलता है और उन्हें एक निश्चित समय के भीतर न्यूनतम भुगतान करना होता है। शेष राशि पर ब्याज लगाया जाता है यदि उसे समय पर नहीं चुकाया जाता है।
इतिहास
क्रेडिट कार्ड का विकास 20वीं सदी के मध्य में हुआ था। पहला क्रेडिट कार्ड 1950 में डाइनर्स क्लब द्वारा जारी किया गया था, जिसे केवल सीमित स्थानों पर स्वीकार किया जाता था। इसके बाद, 1958 में अमेरिकन एक्सप्रेस और बैंक ऑफ अमेरिका ने अपने क्रेडिट कार्ड जारी किए। 1960 और 1970 के दशक में मास्टरकार्ड और वीज़ा जैसी प्रमुख क्रेडिट कार्ड कंपनियों का उदय हुआ, जिन्होंने क्रेडिट कार्ड को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बना दिया।
प्रकार
क्रेडिट कार्ड को उनके उपयोग और विशेषताओं के आधार पर विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:
- स्टैंडर्ड क्रेडिट कार्ड: ये सामान्य क्रेडिट कार्ड होते हैं जिनमें कोई विशेष लाभ या पुरस्कार नहीं होते।
- रिवार्ड्स क्रेडिट कार्ड: इन कार्डों पर खर्च करने पर रिवार्ड पॉइंट्स, कैशबैक, या एयरलाइन माइल्स मिलते हैं।
- बैलेंस ट्रांसफर क्रेडिट कार्ड: इन कार्डों का उपयोग उच्च ब्याज दर वाले क्रेडिट कार्ड बैलेंस को स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है।
- सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड: ये कार्ड उन लोगों के लिए होते हैं जिनका क्रेडिट इतिहास कमजोर होता है। इन्हें एक जमा राशि के बदले में जारी किया जाता है।
- चार्ज कार्ड: इन कार्डों में क्रेडिट सीमा नहीं होती, लेकिन बकाया राशि को हर महीने चुकाना होता है।
कार्यप्रणाली
क्रेडिट कार्ड की कार्यप्रणाली निम्नलिखित चरणों में समझी जा सकती है:
- आवेदन और स्वीकृति: उपभोक्ता बैंक या वित्तीय संस्थान में क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करता है, और उनकी क्रेडिट योग्यता के आधार पर कार्ड स्वीकृत होता है।
- खरीदारी: उपभोक्ता क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर सामान और सेवाएं खरीदता है।
- बिलिंग साइकिल: प्रत्येक माह के अंत में उपभोक्ता को उनके खर्च का विवरण मिलता है।
- भुगतान: उपभोक्ता को बिलिंग साइकिल के अंतर्गत न्यूनतम भुगतान या पूरी बकाया राशि चुकानी होती है।
- ब्याज: यदि उपभोक्ता पूरी बकाया राशि का भुगतान नहीं करता है, तो शेष राशि पर ब्याज लगाया जाता है।
फायदे
- सुविधा: क्रेडिट कार्ड का उपयोग कहीं भी और कभी भी किया जा सकता है।
- रिवार्ड्स और कैशबैक: कई क्रेडिट कार्ड पर खर्च करने पर रिवार्ड पॉइंट्स, कैशबैक, और अन्य लाभ मिलते हैं।
- क्रेडिट स्कोर सुधार: नियमित और समय पर भुगतान से उपभोक्ता का क्रेडिट स्कोर सुधरता है।
- आपातकालीन फंडिंग: क्रेडिट कार्ड आपातकालीन स्थितियों में त्वरित वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
चुनौतियाँ
- ब्याज दर: क्रेडिट कार्ड पर उच्च ब्याज दरें होती हैं, जिससे देरी से भुगतान करने पर खर्च बढ़ सकता है।
- ऋण जाल: अनियंत्रित खर्च और नियमित रूप से न्यूनतम भुगतान करने से उपभोक्ता ऋण जाल में फंस सकते हैं।
- फ्रॉड: क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी का जोखिम रहता है, जिससे वित्तीय नुकसान हो सकता है।