धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ वर्तमान में भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) हैं। उन्होंने 9 नवंबर 2022 को मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले न्यायाधीशों में से एक हैं। इसके साथ ही, उनके पिता न्यायमूर्ति यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भी भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं, जिनका कार्यकाल सबसे लंबा रहा था।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
धनंजय चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से की, जहाँ से उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ लॉ से कानून की डिग्री (एल.एल.बी.) प्राप्त की। अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने हार्वर्ड लॉ स्कूल से मास्टर ऑफ लॉ (एल.एल.एम.) और डॉक्टरेट (एस.जे.डी.) की उपाधि प्राप्त की।
न्यायिक करियर
धनंजय चंद्रचूड़ ने अपने करियर की शुरुआत एक वकील के रूप में की थी। वह बॉम्बे हाई कोर्ट में एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में कार्यरत रहे और भारत के सॉलिसिटर जनरल के कार्यालय में भी सेवाएँ दीं। उनकी न्यायिक यात्रा 2000 में शुरू हुई जब उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद, 2013 में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
सर्वोच्च न्यायालय में, उन्हें 13 मई 2016 को न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा बने, जिनमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता, डिजिटल प्राइवेसी, समानता और संवैधानिक अधिकारों से जुड़े मामलों पर निर्णायक निर्णय शामिल हैं।
प्रमुख निर्णय
धनंजय चंद्रचूड़ ने कई महत्वपूर्ण मामलों पर निर्णय दिए हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
आधार मामला: उन्होंने आधार की वैधता और निजता के अधिकार से जुड़े मामले में अहम भूमिका निभाई।
धारा 377: चंद्रचूड़ ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाने के पक्ष में फैसला दिया, जो एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के अधिकारों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।
समानता और महिलाओं के अधिकार: उन्होंने सबरीमाला मंदिर मामले में महिलाओं के मंदिर में प्रवेश का समर्थन किया और इसे संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता का अधिकार बताया।
निर्भया मामला: उन्होंने निर्भया गैंगरेप मामले में फांसी की सजा को बरकरार रखने का आदेश दिया।
संपत्ति का अधिकार: चंद्रचूड़ ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
परिवार
धनंजय चंद्रचूड़ के पिता, यशवंत विष्णु चंद्रचूड़, 1978 से 1985 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे थे। वह देश के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्य न्यायाधीश थे। न्यायमूर्ति धनंजय चंद्रचूड़ के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं।
पुरस्कार और सम्मान
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को उनके न्यायिक कार्यों और विधिक विचारधाराओं के लिए कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उनका व्यापक अनुभव और गहरी समझ उन्हें भारत के न्यायिक तंत्र में एक प्रतिष्ठित स्थान प्रदान करती है।
निष्कर्ष
धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भारतीय न्यायपालिका के एक प्रमुख और प्रभावशाली न्यायाधीश हैं। उनके न्यायिक फैसले और उनका संविधान के प्रति निष्ठावान दृष्टिकोण उन्हें आधुनिक भारतीय न्याय व्यवस्था में एक प्रमुख स्थान दिलाते हैं।