विदेश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Foreign Corrupt Practices Act - FCPA) एक अमेरिकी कानून है जिसे 1977 में पारित किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य अमेरिकी कंपनियों, नागरिकों और विदेशी कंपनियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को रोकना है। यह कानून कंपनियों को विदेशी सरकारी अधिकारियों को अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए रिश्वत देने या भुगतान करने से रोकता है।
उद्देश्य
FCPA का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिकी कंपनियां और उनके अधिकारी अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक प्रथाओं में पारदर्शिता बनाए रखें और ईमानदारी से काम करें। यह कानून विदेशी बाजारों में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करता है।
प्रमुख प्रावधान
FCPA के दो मुख्य प्रावधान हैं:
रिश्वतखोरी विरोधी प्रावधान:
- यह प्रावधान अमेरिकी कंपनियों, नागरिकों, और उनके प्रतिनिधियों को विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकता है।
- इसका उद्देश्य विदेशी सरकारों से अनुचित व्यापारिक लाभ प्राप्त करना या अनुबंध सुनिश्चित करना रोकना है।
- अमेरिकी कंपनियों को अपनी वित्तीय गतिविधियों और लेन-देन का सही और पारदर्शी रिकॉर्ड रखना आवश्यक है।
- किसी भी फर्जी रिकॉर्डिंग या जानकारी छुपाने पर कार्रवाई हो सकती है।
प्रभावित क्षेत्र
- अमेरिकी कंपनियां, उनके कर्मचारी, अधिकारी, निदेशक और एजेंट।
- विदेशी कंपनियां जो अमेरिकी शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं।
- अन्य देश की कंपनियां जो अमेरिकी कानून के दायरे में आती हैं।
दंड और कार्रवाई
FCPA का उल्लंघन करने पर गंभीर दंड का प्रावधान है, जिसमें भारी जुर्माना, जेल की सजा और नागरिक दंड शामिल हैं। इसके तहत:
- कंपनियों पर लाखों डॉलर का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- व्यक्तिगत दोषियों को जेल और आर्थिक दंड भुगतने पड़ सकते हैं।
वैश्विक महत्व
FCPA ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश में पारदर्शिता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह कानून अन्य देशों के भ्रष्टाचार-रोधी कानूनों जैसे कि यूके ब्राइबरी एक्ट और भारत के भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (1988) को प्रेरित करता है।
आलोचना और चुनौतियां
FCPA को लेकर कई बार आलोचना भी होती है। आलोचकों का मानना है कि:
- यह कानून अमेरिकी कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ डालता है।
- कुछ मामलों में कानून का दुरुपयोग होता है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा में अमेरिकी कंपनियां पिछड़ सकती हैं।