ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) एक चरणबद्ध कार्य योजना है जिसे भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लागू किया गया है। इस योजना का उद्देश्य वायु गुणवत्ता में गिरावट के आधार पर विभिन्न उपायों को समयबद्ध और संगठित रूप से लागू करना है। यह योजना 2017 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देश पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा शुरू की गई थी और इसे मुख्य रूप से दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण की स्थितियों में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए तैयार किया गया है।


ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)


पृष्ठभूमि

दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण पिछले कुछ वर्षों में एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन गया है। खासकर सर्दियों के मौसम में, पराली जलाने, वाहनों के उत्सर्जन, निर्माण कार्यों, और औद्योगिक प्रदूषण के कारण वायु गुणवत्ता का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच जाता है। इसके समाधान के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित एक विशेष समिति द्वारा GRAP की स्थापना की गई थी। इसे प्रदूषण की गंभीरता के अनुसार क्रमबद्ध तरीके से लागू किया जाता है, ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके और स्वास्थ्य प्रभावों को कम किया जा सके।


उद्देश्य

GRAP का मुख्य उद्देश्य वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति में पहले से तैयार और चरणबद्ध तरीके से कदम उठाना है। यह विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों को एक स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करता है कि उन्हें कब और कैसे कार्य करना चाहिए। GRAP का मकसद न केवल दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सुधारना है, बल्कि इसके जरिए एक मॉडल तैयार करना भी है, जिसे अन्य प्रदूषणग्रस्त क्षेत्रों में भी अपनाया जा सके।


प्रमुख श्रेणियाँ और उपाय

GRAP को चार प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जो प्रदूषण के स्तर के आधार पर लागू होते हैं। ये श्रेणियाँ हैं –


मध्यम (Moderate to Poor)

इस श्रेणी के अंतर्गत प्रदूषण का स्तर सामान्य से कमतर होता है, लेकिन यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। इस स्तर पर उपायों में कचरे को जलाने पर प्रतिबंध, सड़कों की नियमित सफाई, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपाय, और जन जागरूकता अभियान शामिल हैं।


खराब (Very Poor)

जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘खराब’ श्रेणी में पहुँचता है, तो अधिक सख्त कदम उठाए जाते हैं। इनमें पार्किंग शुल्क में वृद्धि, डीजल जेनरेटर सेट्स पर प्रतिबंध, निर्माण गतिविधियों की सीमाएँ और परिवहन सेवाओं का विस्तार शामिल हैं।


गंभीर (Severe)

इस श्रेणी में AQI और भी अधिक हो जाता है और लोगों की स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसके तहत कुछ अतिरिक्त उपाय लागू किए जाते हैं, जैसे – ट्रकों का प्रवेश सीमित करना, निर्माण कार्यों पर रोक, और स्कूलों को बंद करने की सलाह देना। इन उपायों का उद्देश्य प्रदूषण के प्रभाव को सीमित करना है।


आपातकालीन (Severe Plus or Emergency)

इस श्रेणी के तहत वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर पर पहुँचने के कारण तत्काल आपातकालीन उपाय किए जाते हैं। इनमें निजी वाहनों का ऑड-ईवन (Odd-Even) नियम लागू करना, सभी निर्माण कार्यों पर पूर्ण रोक, औद्योगिक गतिविधियों को बंद करना, और शहर में आवश्यक सेवाओं को छोड़कर ट्रकों की एंट्री बंद करना शामिल हैं।


प्रभाव और चुनौतियाँ

GRAP के कार्यान्वयन से दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता को सुधारने में मदद मिली है, हालांकि इसके प्रभाव सीमित रहे हैं। इसके अलावा, इस योजना के कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी सामने आई हैं, जैसे अन्य राज्यों से आने वाला प्रदूषण, पराली जलाने पर नियंत्रण की कमी, और प्रशासनिक तंत्र में समन्वय की कमी। हालांकि GRAP ने एक व्यवस्थित और पूर्व निर्धारित ढाँचा तैयार किया है, लेकिन इसमें सुधार की गुंजाइश बनी हुई है।


सफलताएँ और आलोचनाएँ

GRAP के कार्यान्वयन से दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने में आंशिक सफलता मिली है। प्रदूषण कम करने के लिए लागू किए गए विभिन्न उपाय, जैसे वाहनों पर प्रतिबंध, निर्माण गतिविधियों पर रोक, और डीजल जेनरेटर पर नियंत्रण ने सकारात्मक प्रभाव डाला है। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद, प्रदूषण का स्तर पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं आया है, जिससे इस योजना की सीमाओं पर सवाल उठते हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए दीर्घकालिक और समग्र नीति की आवश्यकता है, जिसमें स्थायी आधार पर प्रभावी समाधान शामिल हो।