हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM)

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) एक भारतीय राजनीतिक पार्टी है, जिसकी स्थापना बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने 28 अगस्त 2015 को की थी। यह पार्टी विशेष रूप से दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए कार्य करती है। पार्टी का मुख्यालय पटना, बिहार में स्थित है।


स्थापना और पृष्ठभूमि

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की स्थापना ऐसे समय में हुई जब जीतन राम मांझी ने जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू) के नेतृत्व से मतभेद के चलते मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया। उन्होंने इसे अपने राजनीतिक विचारों और समाज के वंचित तबकों के हितों को आगे बढ़ाने का माध्यम बनाया। पार्टी ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा बनकर चुनाव लड़ा।


विचारधारा और उद्देश्य

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा का मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर और पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाना है। पार्टी सामाजिक न्याय, शिक्षा, रोजगार, और स्वास्थ्य के मुद्दों पर जोर देती है। HAM का मानना है कि दलितों और वंचितों को मुख्यधारा की राजनीति में उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।


राजनीतिक सफर


2015 बिहार विधानसभा चुनाव

पार्टी ने 2015 में एनडीए के तहत बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इसे बड़ी सफलता नहीं मिली।


महागठबंधन में शामिल होना

2018 में HAM ने एनडीए से अलग होकर राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बनने का निर्णय लिया। हालांकि, इसके बाद पार्टी ने पुनः एनडीए में वापसी की।


2020 बिहार विधानसभा चुनाव

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने एनडीए के साथ गठबंधन में 2020 का चुनाव लड़ा। इस चुनाव में पार्टी ने कुछ सीटों पर सफलता हासिल की और जीतन राम मांझी को महत्वपूर्ण राजनीतिक भूमिका मिली।


पार्टी संरचना

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी हैं। पार्टी के अन्य प्रमुख पदाधिकारी दलित, महादलित और पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं।


चुनावी प्रदर्शन

पार्टी का चुनावी प्रदर्शन क्षेत्रीय स्तर पर सीमित है, लेकिन यह बिहार की राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभाती है। HAM का मुख्य आधार दलित और वंचित वर्ग हैं, जिनके लिए पार्टी लगातार आवाज उठाती है।


विवाद

HAM कई बार अपने गठबंधन बदलने और राजनीतिक फैसलों के कारण विवादों में रही है। पार्टी पर अवसरवादी राजनीति करने के आरोप भी लगते रहे हैं।