इनकम टैक्स बिल (आयकर विधेयक) किसी देश की सरकार द्वारा लाया गया एक विधायी प्रस्ताव होता है, जिसका उद्देश्य नागरिकों और व्यवसायों पर कराधान से संबंधित नीतियों को निर्धारित करना होता है। यह बिल सरकार की राजस्व प्राप्ति और कर प्रणाली के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करता है।
भारत में आयकर प्रणाली की शुरुआत ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी। वर्ष 1860 में लॉर्ड कैनिंग की सरकार ने पहली बार आयकर लागू किया था। स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने 1961 में आयकर अधिनियम (Income Tax Act, 1961) पारित किया, जो वर्तमान में भारत में आयकर संग्रहण का आधार है।
इनकम टैक्स बिल का उद्देश्य
इनकम टैक्स बिल का मुख्य उद्देश्य कर प्रणाली को संशोधित करना, नई कर दरें लागू करना, छूट और कटौतियों को परिभाषित करना, और कर दाताओं की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करना होता है। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में बजट के दौरान सरकार द्वारा आयकर से जुड़े प्रावधानों में आवश्यक संशोधन किए जाते हैं।
मुख्य प्रावधान
इनकम टैक्स बिल आमतौर पर निम्नलिखित प्रावधानों को शामिल करता है:
- कर स्लैब और दरें: विभिन्न आय वर्गों के लिए कर दरों को परिभाषित करता है।
- कटौतियां और छूट: बचत योजनाओं, निवेशों और विशेष खर्चों पर कर में छूट प्रदान करता है।
- सजा और दंड: कर चोरी या गलत जानकारी देने पर दंड का निर्धारण करता है।
- कॉर्पोरेट टैक्स: कंपनियों और संगठनों के लिए कर नियमों का निर्धारण करता है।
भारत में इनकम टैक्स कानून
भारत में आयकर कानून आयकर अधिनियम, 1961 के तहत संचालित होता है, जिसे समय-समय पर संशोधित किया जाता है। इनकम टैक्स बिल संसद में पारित होने के बाद वित्त अधिनियम (Finance Act) के रूप में लागू होता है।
संभावित संशोधन और प्रभाव
हर साल सरकार बजट के दौरान इनकम टैक्स कानूनों में बदलाव करती है। इन संशोधनों का असर व्यक्तिगत करदाताओं, व्यवसायों और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।