भारतीय नौसेना (Indian Navy)

भारतीय नौसेना भारत की सशस्त्र सेनाओं की तीन प्रमुख शाखाओं में से एक है। इसे देश के समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा, समुद्री व्यापार के संरक्षण और आपातकालीन स्थितियों में सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। भारतीय नौसेना का आदर्श वाक्य है: "शं नो वरुणः" जिसका अर्थ है "वरुण देव हमें आशीर्वाद दें।"

भारतीय नौसेना (Indian Navy)


इतिहास

भारतीय नौसेना का गठन 1612 में हुआ जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने समुद्री व्यापार की सुरक्षा के लिए एक छोटी नौसैनिक इकाई स्थापित की।

  • 26 जनवरी 1950 को भारतीय नौसेना को आधिकारिक रूप से "भारतीय नौसेना" का नाम दिया गया।
  • भारत की स्वतंत्रता के बाद, नौसेना का पुनर्गठन और आधुनिकीकरण किया गया।


संगठन

भारतीय नौसेना का नेतृत्व एक एडमिरल करता है, जो नौसेना स्टाफ के प्रमुख (CNS) होते हैं। नौसेना के संगठन को तीन कमांडों में विभाजित किया गया है:

  • पश्चिमी नौसैनिक कमान (मुख्यालय: मुंबई)
  • पूर्वी नौसैनिक कमान (मुख्यालय: विशाखापत्तनम)
  • दक्षिणी नौसैनिक कमान (मुख्यालय: कोच्चि)


भूमिका और कार्य

भारतीय नौसेना की प्राथमिक भूमिकाएं हैं:

  • राष्ट्रीय सुरक्षा: समुद्री सीमाओं की रक्षा करना।
  • मानवीय सहायता: प्राकृतिक आपदाओं और संकट के समय राहत कार्य।
  • सामरिक प्रभाव: भारतीय हितों की रक्षा के लिए विदेशी जल क्षेत्रों में उपस्थिति बनाए रखना।
  • समुद्री व्यापार की सुरक्षा: समुद्री डकैती, आतंकवाद और तस्करी को रोकना।


प्रमुख युद्धपोत और उपकरण

भारतीय नौसेना के पास अत्याधुनिक युद्धपोत, पनडुब्बियां, विमान और हेलीकॉप्टर हैं।


विमानवाहक पोत:

  • INS विक्रमादित्य
  • INS विक्रांत (स्वदेशी रूप से निर्मित)


पनडुब्बियां:

  • INS अरिहंत (परमाणु पनडुब्बी)
  • स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियां

विध्वंसक और फ्रिगेट्स:

  • INS कोलकाता
  • INS शिवालिक


हवाई उपकरण:

  • मिग-29K लड़ाकू विमान
  • P-8I लंबी दूरी का गश्ती विमान


नौसेना दिवस

हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है। यह 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ऑपरेशन ट्राइडेंट की सफलता को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है, जब भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर हमला किया था।


स्वदेशी निर्माण और भविष्य की योजनाएं

भारतीय नौसेना "मेक इन इंडिया" अभियान के तहत स्वदेशी युद्धपोत और पनडुब्बियां विकसित कर रही है।

  • INS विक्रांत: पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत।
  • अगली पीढ़ी की पनडुब्बियां और विध्वंसक निर्माण की प्रक्रिया चल रही है।
  • नौसेना की दृष्टि 2047 तक विश्वस्तरीय "ब्लू वॉटर नेवी" बनने की है।


भारत के लिए नौसेना का महत्व

  • सामरिक स्थिति: भारत की भौगोलिक स्थिति इसे हिंद महासागर क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाती है।
  • अर्थव्यवस्था की सुरक्षा: भारत का 90% व्यापार समुद्र के रास्ते होता है।
  • वैश्विक शक्ति: भारतीय नौसेना मित्र देशों के साथ संयुक्त अभ्यास और मानवीय मिशन में भाग लेकर भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करती है।