झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) एक प्रमुख राजनीतिक दल है जो भारत के झारखंड राज्य में सक्रिय है। इस पार्टी का गठन 1972 में किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य झारखंड क्षेत्र की स्वायत्तता और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करना है।
इतिहास
झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना का उद्देश्य झारखंड क्षेत्र के लोगों के अधिकारों को बढ़ावा देना और उनके सांस्कृतिक और सामाजिक हितों की रक्षा करना था। पार्टी का गठन 1970 के दशक के प्रारंभ में झारखंड की अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन के दौरान हुआ। इसके संस्थापक, शिबू सोरेन, को पार्टी के पहले अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।
राजनीतिक स्थिति
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 2000 में झारखंड राज्य के गठन के बाद से कई बार राज्य की सरकारों में भाग लिया है। यह पार्टी मुख्यतः आदिवासी समुदायों के बीच अपनी मजबूती के लिए जानी जाती है। JMM ने झारखंड राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शिबू सोरेन को 2005 में नियुक्त किया था।
प्रमुख नेता
शिबू सोरेन: पार्टी के संस्थापक और वर्तमान में प्रमुख नेता, जिन्होंने कई बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है।
हेमंत सोरेन: शिबू सोरेन के पुत्र और वर्तमान मुख्यमंत्री, जो पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष भी हैं।
विचारधारा
झारखंड मुक्ति मोर्चा का मुख्य उद्देश्य झारखंड के आदिवासियों और स्थानीय निवासियों के अधिकारों की रक्षा करना है। पार्टी सामाजिक न्याय, आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण को अपने प्राथमिकता मानती है। JMM का मानना है कि आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करना आवश्यक है।
चुनावी प्रदर्शन
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने झारखंड विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण प्रदर्शन किया है। 2019 के विधानसभा चुनावों में, JMM ने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ मिलकर एक महागठबंधन बनाया, जिसके परिणामस्वरूप Hemanth Soren को मुख्यमंत्री बनाया गया।
सामाजिक कार्य
पार्टी न केवल राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय है, बल्कि विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करती है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार। JMM आदिवासी समुदायों के विकास के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाती है।
निष्कर्ष
झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड राज्य में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक दल है, जो आदिवासी अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए काम कर रहा है। पार्टी का लक्ष्य एक ऐसा समाज बनाना है जिसमें सभी वर्गों के लोगों को समान अधिकार और अवसर मिलें।