जन्म: 25 दिसंबर 1971
राष्ट्रीयता: कनाडाई
पार्टी: लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा
पद: कनाडा के 23वें प्रधानमंत्री (4 नवंबर 2015 से वर्तमान)
जस्टिन पियरे जेम्स ट्रूडो एक कनाडाई राजनीतिज्ञ हैं, जो 4 नवंबर 2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री पद पर कार्यरत हैं। वे लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा के नेता हैं और कनाडा के 15वें प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो के बेटे हैं। उनके नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने वर्ष 2015, 2019 और 2021 में संघीय चुनावों में जीत हासिल की।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जस्टिन ट्रूडो का जन्म 25 दिसंबर 1971 को ओटावा, ओंटारियो में हुआ। वे कनाडा के प्रधानमंत्री पद पर कार्यरत पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिनका जन्म इस पद पर रहते हुए उनके माता-पिता के साथ हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मॉन्ट्रियल के कॉलेज जीन-डी-ब्रेबेफ से प्राप्त की और इसके बाद मैकगिल यूनिवर्सिटी से साहित्य में स्नातक और यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया से शिक्षा में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
राजनीतिक करियर
ट्रूडो ने वर्ष 2008 में पहली बार राजनीति में कदम रखा और पापिनो निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए। इसके बाद वे 2013 में लिबरल पार्टी के नेता बने। उनके नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने वर्ष 2015 के संघीय चुनाव में बहुमत से जीत दर्ज की, जिसके चलते वे कनाडा के प्रधानमंत्री बने। 2019 और 2021 के चुनावों में उन्होंने अल्पमत की सरकार बनाई।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल
प्रधानमंत्री के रूप में ट्रूडो ने स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, जलवायु परिवर्तन, और आप्रवासन पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। उनके कार्यकाल में कैनेबियन अर्थव्यवस्था में सुधार, स्वदेशी अधिकारों को सशक्त बनाने, और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की गई। हालांकि, उनके कार्यकाल में विवाद भी रहे हैं, जैसे कि SNC-लवलीन मामला, जिसमें उन पर नैतिकता के उल्लंघन के आरोप लगे थे।
व्यक्तिगत जीवन
जस्टिन ट्रूडो का विवाह 2005 में सोफी ग्रेगोयर से हुआ, जो एक पूर्व टीवी होस्ट और समाजसेवी हैं। उनके तीन बच्चे हैं। ट्रूडो के व्यक्तिगत शौक में बॉक्सिंग, स्कीइंग और आउटडोर गतिविधियां शामिल हैं।
पुरस्कार और सम्मान
उनके कार्यों के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली है। ट्रूडो का नेतृत्व करुणा और सहिष्णुता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
विवाद
हाल के वर्षों में, जस्टिन ट्रूडो की विदेश नीति और भारत-कनाडा संबंधों में तनाव ने उनके कार्यकाल में महत्वपूर्ण मुद्दों को जन्म दिया। खासकर 2023 में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर लगे आरोपों ने विवाद उत्पन्न किया और उनके रुख के कारण दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट आई।