करणी सेना, जिसे श्री राजपूत करणी सेना भी कहा जाता है, भारत में एक प्रमुख सामाजिक और राजनीतिक संगठन है, जिसकी स्थापना राजपूत समुदाय के हितों की रक्षा और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने के उद्देश्य से की गई थी। यह संगठन विशेष रूप से राजस्थान में सक्रिय है, लेकिन इसकी गतिविधियों का प्रभाव समय के साथ पूरे भारत में फैल गया है। करणी सेना का नाम राजपूत कुलदेवी "मां करणी" के नाम पर रखा गया है, जो राजस्थान के राजपूत समुदाय द्वारा विशेष रूप से पूजनीय मानी जाती हैं।
स्थापना और उद्देश्य
करणी सेना की स्थापना 2006 में लोकेंद्र सिंह कालवी द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य राजपूत समुदाय के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करना, उनकी सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखना, और राजपूत युवाओं को संगठित कर उन्हें समाज में नेतृत्व प्रदान करना था। संगठन का एक अन्य प्रमुख लक्ष्य राजपूतों के आर्थिक, सामाजिक, और राजनीतिक हितों की रक्षा करना है।
संगठन की प्रमुख गतिविधियाँ
करणी सेना ने समय-समय पर विभिन्न मुद्दों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, जिनमें राजपूत समुदाय के सम्मान से जुड़े मामले विशेष रूप से प्रमुख रहे हैं। संगठन ने कई बार राजपूतों के सम्मान के लिए फिल्म, साहित्य, और ऐतिहासिक घटनाओं में किसी भी प्रकार के कथित अपमान या गलत चित्रण का विरोध किया है।
फिल्मों और ऐतिहासिक चित्रण पर विरोध: करणी सेना विशेष रूप से बॉलीवुड फिल्म "पद्मावत" के विरोध के लिए चर्चा में आई थी। 2017 में, संगठन ने इस फिल्म का विरोध किया, यह दावा करते हुए कि फिल्म में रानी पद्मावती का गलत और अपमानजनक चित्रण किया गया है, जिससे राजपूत समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचती है। विरोध के दौरान फिल्म निर्माताओं पर दबाव डाला गया, और यह आंदोलन राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया।
सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन: करणी सेना ने समय-समय पर अन्य सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी आंदोलन किए हैं, जिनमें आरक्षण, जातिगत असमानता, और राजपूतों के आर्थिक अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलनों का नेतृत्व शामिल है। संगठन ने राजपूत समुदाय के बीच एकता और संगठन को बढ़ावा देने के लिए कई सामुदायिक कार्यक्रम और सामाजिक कार्य भी आयोजित किए हैं।
विवाद
करणी सेना की गतिविधियों के दौरान कई बार हिंसा और कानून व्यवस्था से जुड़े विवाद सामने आए हैं। विशेष रूप से, "पद्मावत" फिल्म के विरोध के दौरान हुए हिंसक प्रदर्शनों के कारण संगठन को आलोचना का सामना करना पड़ा। करणी सेना पर आरोप लगाए गए कि उसने अपने विरोध को हिंसक मोड़ दिया, जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा और समाज में तनाव उत्पन्न हुआ।
संगठन की संरचना और नेतृत्व
करणी सेना का नेतृत्व विभिन्न समय पर कई प्रमुख व्यक्तित्वों ने किया है, जिनमें लोकेंद्र सिंह कालवी प्रमुख रहे हैं। संगठन का नेतृत्व एक अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के माध्यम से किया जाता है, जो इसके विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करने के लिए काम करते हैं। करणी सेना के अलग-अलग राज्य और जिला इकाइयाँ भी हैं, जो संगठन के निर्देशों के अनुसार स्थानीय स्तर पर कार्य करती हैं।
आलोचना और समर्थन
करणी सेना को कई बार अपने आंदोलनों और प्रदर्शनों के दौरान आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, विशेषकर जब विरोध हिंसक हो गए। हालांकि, राजपूत समुदाय के कुछ वर्गों ने संगठन को समर्थन दिया है, यह मानते हुए कि यह उनके हितों की रक्षा कर रहा है और उनके सांस्कृतिक सम्मान को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। दूसरी ओर, कई आलोचकों का कहना है कि संगठन को अपने विरोध के तरीकों में सुधार करना चाहिए और हिंसा से बचना चाहिए।