नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी है। इस पार्टी की स्थापना 1932 में शेख मोहम्मद अब्दुल्ला द्वारा की गई थी, जो कश्मीर के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। पार्टी ने राज्य में कई ऐतिहासिक बदलावों और घटनाओं में प्रमुख भूमिका निभाई है और इसे जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय स्वायत्तता और विशेषाधिकारों की वकालत करने के लिए जाना जाता है।
इतिहास
नेशनल कॉन्फ्रेंस की स्थापना पहले जम्मू और कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के नाम से की गई थी, जिसे बाद में 1939 में धर्मनिरपेक्ष स्वरूप देने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस में परिवर्तित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर के लोगों के अधिकारों की रक्षा करना और उनके सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देना था। पार्टी का मुख्य आदर्श "नया कश्मीर" था, जो राज्य के भीतर सामाजिक न्याय, समानता, और भूमि सुधार पर जोर देता था।
शेख अब्दुल्ला ने पार्टी को स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान प्रमुख रूप से सक्रिय रखा और पार्टी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के साथ सामंजस्य स्थापित किया। भारत की आजादी के बाद, शेख अब्दुल्ला जम्मू और कश्मीर के प्रधानमंत्री बने और उनके नेतृत्व में राज्य का भारत में विलय हुआ, हालांकि, राज्य को विशेष संवैधानिक अधिकार Article 370 के तहत दिए गए थे।
पार्टी की विचारधारा
नेशनल कॉन्फ्रेंस मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता और राज्य के विशेष अधिकारों की वकालत करती है। पार्टी का मुख्य उद्देश्य राज्य के लोगों की राजनीतिक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसका रुख हमेशा से सेक्युलर और धर्मनिरपेक्ष रहा है, और यह पार्टी सांप्रदायिक सौहार्द और कश्मीरियत के विचार को बढ़ावा देती रही है।
प्रमुख नेता
शेख अब्दुल्ला के बाद उनके पुत्र डॉ. फारूक अब्दुल्ला और फिर उनके पौत्र उमर अब्दुल्ला ने पार्टी का नेतृत्व किया। फारूक अब्दुल्ला ने कई बार जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला, और उनके नेतृत्व में पार्टी ने राज्य में राजनीतिक स्थिरता की कोशिश की। उमर अब्दुल्ला, जो 2009 से 2015 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे, ने भी पार्टी के प्रगतिशील विचारों को आगे बढ़ाया।
प्रमुख उपलब्धियाँ
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू और कश्मीर में कई महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक सुधार किए हैं। भूमि सुधार, जिसमें भूमि का पुनर्वितरण और किसानों के अधिकारों की सुरक्षा शामिल है, पार्टी की प्रमुख उपलब्धियों में से एक है। इसके साथ ही, पार्टी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भी प्रयास किए हैं।
पार्टी ने राज्य की स्वायत्तता की रक्षा और धारा 370 को बनाए रखने की भी हमेशा वकालत की है, हालांकि, अगस्त 2019 में केंद्र सरकार द्वारा धारा 370 को निरस्त कर दिया गया, जिसके बाद पार्टी ने इसका कड़ा विरोध किया और इस कदम को राज्य की अस्मिता और अधिकारों के खिलाफ बताया।
चुनावी प्रदर्शन
नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू और कश्मीर की प्रमुख राजनीतिक पार्टी रही है और कई बार राज्य के विधानसभा चुनावों में विजयी होकर सरकार बनाई है। पार्टी ने 1983, 1996, 2002 और 2008 के चुनावों में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की। हालांकि, 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान हुआ और उसे पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा।
लोकसभा चुनावों में भी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कई बार राज्य का प्रतिनिधित्व किया है, हालांकि पार्टी का प्रभाव मुख्य रूप से जम्मू और कश्मीर तक ही सीमित रहा है।
विवाद और चुनौतियाँ
नेशनल कॉन्फ्रेंस का राजनीतिक सफर विवादों और चुनौतियों से भी घिरा रहा है। 1953 में, शेख अब्दुल्ला को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था, जिसके बाद पार्टी और भारत सरकार के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे। इसके अलावा, धारा 370 को लेकर पार्टी के रुख और पाकिस्तान के साथ बातचीत की वकालत करने पर भी पार्टी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।
अगस्त 2019 में, जब भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया, तब पार्टी के नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था। इसके बाद पार्टी के सामने राज्य के पुनर्गठन और राजनीतिक अस्थिरता जैसी कई चुनौतियाँ आ खड़ी हुईं।
वर्तमान स्थिति
नेशनल कॉन्फ्रेंस अभी भी जम्मू और कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण शक्ति है। धारा 370 के निरस्तीकरण के बाद, पार्टी ने राज्य की स्वायत्तता बहाल करने के लिए कानूनी और राजनीतिक प्रयास जारी रखे हैं। पार्टी का नेतृत्व अब उमर अब्दुल्ला के हाथों में है, और वे राज्य में शांति, लोकतंत्र और विकास की स्थापना के लिए संघर्षरत हैं।
निष्कर्ष
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू और कश्मीर के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और राज्य की राजनीति में इसकी विशेष पहचान है। पार्टी ने राज्य के विकास और स्वायत्तता के लिए संघर्ष किया है और आज भी राज्य के लोगों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि वर्तमान समय में पार्टी के सामने कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने विचारों और सिद्धांतों पर हमेशा कायम रहते हुए राज्य की राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।