निमिषा प्रिया एक भारतीय नर्स हैं, जो केरल राज्य के पलक्कड़ जिले से हैं। उन्हें यमन की अदालत ने हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई थी। उनका मामला अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने वाला था, क्योंकि उनके खिलाफ आरोप एक गंभीर विवाद से जुड़े हुए थे, और यह मामला भारत और यमन के बीच संबंधों का एक महत्वपूर्ण बिंदु बन गया। निमिषा का नाम तब सुर्खियों में आया जब यमन की अदालत ने उन्हें 2020 में हत्या का दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा : निमिषा प्रिया का जन्म केरल राज्य के पलक्कड़ जिले में हुआ था। उनकी शिक्षा और प्राथमिक जीवन के बारे में जानकारी सीमित है, लेकिन यह ज्ञात है कि उन्होंने नर्सिंग में अपनी शिक्षा पूरी की और बाद में एक पेशेवर नर्स के रूप में काम करने के लिए यमन चली गईं।
यमन में कार्य : निमिषा ने 2008 में यमन में काम करना शुरू किया। पहले वह वहां के विभिन्न अस्पतालों में काम करती थीं, लेकिन 2015 में उन्होंने यमन में अपना खुद का क्लिनिक खोल लिया था। यमन में गृहयुद्ध के चलते 2016 के बाद वहां के बाहर जाने की पाबंदियां लागू हो गई थीं। उनके पति और बेटी 2014 में भारत लौट आए थे, लेकिन निमिषा यमन में काम करती रहीं।
हत्या का आरोप और फांसी की सजा : 2017 में, निमिषा प्रिया को यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोपी ठहराया गया था। आरोप था कि निमिषा ने महदी को दवा की ओवरडोज़ देकर उनकी हत्या कर दी थी। हालांकि, निमिषा ने अपनी स्थिति को सही बताया था और आरोपों को नकारा था। दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका में यह भी दावा किया गया था कि महदी ने निमिषा को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था, और उनका पासपोर्ट भी छीन लिया था। इसके बावजूद, यमन की अदालत ने 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया : भारत सरकार ने निमिषा के मामले पर गंभीर चिंता व्यक्त की और उनके परिवार को हर संभव कानूनी सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि भारत सरकार निमिषा की स्थिति पर नज़र बनाए रखेगी और उनके परिवार द्वारा उठाए गए कानूनी कदमों में मदद करेगी।
कानूनी मदद और समर्थन : भारत सरकार ने निमिषा के मामले में हर संभव कानूनी सहायता देने की घोषणा की थी, और विदेश मंत्रालय ने यह भी सुनिश्चित किया कि निमिषा के परिवार को सभी जरूरी सलाह और सहायता दी जाएगी। इसके अलावा, विभिन्न मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी निमिषा की स्थिति पर चिंता जताई और उन्हें न्याय दिलाने के लिए आवाज उठाई।
सारांश : निमिषा प्रिया का मामला न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि यह एक ऐसे संघर्ष का प्रतीक है जिसमें एक भारतीय महिला नर्स को एक विदेशी देश में गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ा। उनका मामला भारत और यमन के बीच तनावपूर्ण कूटनीतिक मुद्दों को भी सामने लाया है, और भारत सरकार ने उनकी मदद के लिए हर संभव कदम उठाने का वादा किया है।