रूस-यूक्रेन युद्ध (Russo-Ukrainian War)

रूस-यूक्रेन युद्ध ( Russo-Ukrainian War) एक चल रहा सैन्य संघर्ष है जो फरवरी 2014 में रूस द्वारा यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्ज़े के साथ शुरू हुआ। इस संघर्ष ने 24 फरवरी 2022 को एक पूर्ण पैमाने पर युद्ध का रूप ले लिया, जब रूस ने यूक्रेन पर व्यापक सैन्य आक्रमण किया। यह युद्ध 21वीं सदी के सबसे बड़े भू-राजनीतिक संकटों में से एक बन चुका है और इसके वैश्विक प्रभाव गहरे रहे हैं।


रूस-यूक्रेन युद्ध (Russo-Ukrainian War)


पृष्ठभूमि

रूस और यूक्रेन के बीच तनाव सोवियत संघ (USSR) के विघटन के बाद 1991 से ही मौजूद था, लेकिन 2014 में यह गंभीर रूप से बढ़ गया जब यूक्रेन में यूरोमैदान आंदोलन के कारण राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को सत्ता से हटा दिया गया। इसके बाद रूस ने क्रीमिया पर कब्ज़ा कर लिया और वहां एक जनमत संग्रह कराया, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अवैध माना। इस घटना के बाद पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों में रूसी समर्थित विद्रोह शुरू हो गया, जिससे संघर्ष और अधिक जटिल हो गया।


युद्ध की शुरुआत (2022)

24 फरवरी 2022 को, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर "विशेष सैन्य अभियान" शुरू करने की घोषणा की। इसके बाद रूसी सेना ने यूक्रेन के विभिन्न शहरों पर हवाई और जमीनी हमले किए। प्रमुख लड़ाइयां कीव, खार्किव, मारियुपोल, बखमुत और अन्य शहरों में लड़ी गईं।


प्रमुख घटनाएं:

कीव की घेराबंदी: युद्ध के शुरुआती दिनों में रूस ने राजधानी कीव पर तेज़ हमला किया, लेकिन यूक्रेनी सेना और नागरिक प्रतिरोध के कारण रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा।

मारियुपोल की लड़ाई: यह युद्ध की सबसे घातक लड़ाइयों में से एक थी, जहां रूसी सेना ने कई महीनों तक शहर की घेराबंदी की। अंततः यह रूस के नियंत्रण में चला गया।

खेरसॉन और खार्किव की वापसी: 2022 के अंत में, यूक्रेनी सेना ने खेरसॉन और खार्किव क्षेत्रों में जवाबी हमले किए और महत्वपूर्ण क्षेत्रों को रूसी नियंत्रण से मुक्त कराया।

बखमुत युद्ध: यह युद्ध के सबसे लंबे और विनाशकारी संघर्षों में से एक रहा, जिसमें दोनों पक्षों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।


युद्ध के प्रभाव

राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव

अमेरिका, यूरोपीय संघ (EU) और नाटो देशों ने यूक्रेन का समर्थन किया और रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए।

संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने रूस के आक्रमण की निंदा की।

यूक्रेन ने 2022 में यूरोपीय संघ (EU) और नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन किया।


आर्थिक प्रभाव

रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के कारण उसकी अर्थव्यवस्था को झटका लगा।

युद्ध ने वैश्विक ऊर्जा संकट को जन्म दिया, जिससे तेल और गैस की कीमतों में भारी वृद्धि हुई।

अनाज आपूर्ति प्रभावित होने के कारण विश्व स्तर पर खाद्य संकट बढ़ गया, खासकर अफ्रीका और मध्य पूर्व में।


मानवीय संकट

लाखों यूक्रेनी नागरिकों को अपने घर छोड़कर शरणार्थी बनना पड़ा।

युद्ध में हजारों सैनिकों और नागरिकों की जान गई।

कई शहर पूरी तरह से नष्ट हो गए और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा।


वर्तमान स्थिति

युद्ध अभी भी जारी है, और यूक्रेन पश्चिमी देशों से सैन्य सहायता प्राप्त कर रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ताएं कई बार असफल रही हैं। 2023 और 2024 में, यूक्रेन ने कुछ क्षेत्रों को फिर से अपने नियंत्रण में लिया, लेकिन युद्ध का भविष्य अभी भी अनिश्चित बना हुआ है।


निष्कर्ष

रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक स्थिरता को चुनौती दी है और यह 21वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण संघर्षों में से एक बन चुका है। इस युद्ध ने न केवल यूरोप बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। युद्ध कब और कैसे समाप्त होगा, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसका दीर्घकालिक प्रभाव वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर रहेगा।