सिद्धारमैया (जन्म: 3 अगस्त 1948) एक भारतीय राजनेता हैं जो कर्नाटक राज्य के प्रमुख नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं और कर्नाटक की राजनीति में एक प्रमुख दलित नेता के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने दो बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। सिद्धारमैया अपनी वामपंथी और समाजवादी विचारधारा के लिए प्रसिद्ध हैं और अपने प्रशासनिक कार्यों के कारण गरीब और वंचित वर्गों में एक लोकप्रिय नेता माने जाते हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
सिद्धारमैया का जन्म 3 अगस्त 1948 को कर्नाटक के मैसूर जिले के एक छोटे से गाँव सिद्धरामनाहुंडी में एक गरीब कृषक परिवार में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव में प्राप्त की और बाद में मैसूर विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक और फिर कानून की पढ़ाई की। अपने करियर के शुरुआती दिनों में वे एक वकील के रूप में कार्यरत रहे।
राजनीतिक करियर
सिद्धारमैया का राजनीतिक करियर 1970 के दशक में आरंभ हुआ जब उन्होंने जनता दल के साथ जुड़कर कर्नाटक विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा। 1983 में पहली बार वे कर्नाटक विधानसभा के सदस्य बने। इसके बाद उन्होंने जनता दल (सेक्युलर) पार्टी के तहत कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और राजस्व मंत्री, वित्त मंत्री, और उप मुख्यमंत्री जैसे पदों का दायित्व संभाला।
वर्ष 2006 में सिद्धारमैया ने जनता दल (सेक्युलर) पार्टी छोड़ दी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के बाद उन्होंने पार्टी के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और 2013 में कांग्रेस की जीत के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने। उनके नेतृत्व में कई प्रमुख योजनाओं की शुरुआत हुई, जिसमें अन्न भाग्य योजना, गृह लक्ष्मी योजना, और अन्य समाज कल्याण कार्यक्रम शामिल हैं।
मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल
सिद्धारमैया ने दो बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उनका पहला कार्यकाल 2013 से 2018 तक चला, जिसमें उन्होंने सामाजिक न्याय और आर्थिक सुधारों को बढ़ावा दिया। वे अपने प्रशासन में वंचित वर्गों को विशेष स्थान देने और समाज कल्याण योजनाओं को लागू करने के लिए जाने जाते हैं। उनके कार्यकाल के दौरान कर्नाटक में आरक्षण नीति में बदलाव के प्रयास और गरीब वर्गों के लिए सरकारी योजनाओं का विस्तार देखा गया।
2023 में कांग्रेस पार्टी के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद सिद्धारमैया फिर से मुख्यमंत्री बने। उनके दूसरे कार्यकाल में भी वे सामाजिक कल्याण और गरीबों के हित के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू करने में सक्रिय हैं। उनकी सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया है।
व्यक्तिगत जीवन
सिद्धारमैया का विवाह परमेश्वरी से हुआ, और उनके दो बेटे हैं। उनका एक बेटा, राकेश, जो कि संभावित राजनैतिक उत्तराधिकारी माने जा रहे थे, का निधन हो गया था। सिद्धारमैया अपने परिवार और व्यक्तिगत जीवन में सरल और सादगीपूर्ण जीवन शैली के लिए जाने जाते हैं।
विचारधारा और प्रभाव
सिद्धारमैया समाजवादी विचारधारा के समर्थक माने जाते हैं और उन्होंने हमेशा वंचित वर्गों के अधिकारों की पैरवी की है। वे कर्नाटक में लिंगायत और ओबीसी समुदायों के हितों के लिए भी काम करते रहे हैं। उनका झुकाव सामाजिक समानता की दिशा में है, और वे जातिगत भेदभाव को कम करने के लिए कई प्रयास कर चुके हैं।
पुरस्कार और सम्मान
सिद्धारमैया को उनके योगदान के लिए कई बार सम्मानित किया गया है। उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समाज कल्याण में कई सराहनीय कार्य किए हैं, जिसके लिए उन्हें सराहा गया है।
सिद्धारमैया का व्यक्तित्व कर्नाटक की राजनीति में एक प्रमुख स्थान रखता है और वे अपनी नीतियों और समाज कल्याण कार्यों के लिए विशेष पहचान बनाए हुए हैं।