तहव्वुर हुसैन राणा (जन्म: 12 जनवरी 1961) एक पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक हैं, जिन्हें 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के साथ-साथ आतंकवाद से संबंधित अन्य गतिविधियों में उनकी संलिप्तता के लिए जाना जाता है। राणा, जो एक चिकित्सक और व्यवसायी भी हैं, पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड हेडली के साथ मिलकर भारत में हमले की साजिश रची थी।
प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
तहव्वुर हुसैन राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था। उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त की और बाद में कनाडा चले गए, जहाँ उन्होंने नागरिकता प्राप्त की। राणा ने एक ट्रैवल एजेंसी की स्थापना की, जिसका मुख्यालय शिकागो, अमेरिका में था।
मुंबई आतंकी हमले और गिरफ्तारी
2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के दौरान, 166 लोग मारे गए थे। इन हमलों में तहव्वुर हुसैन राणा की भूमिका संदिग्ध पाई गई, विशेषकर उनके सहयोगी डेविड हेडली के माध्यम से, जो लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम कर रहे थे। हेडली ने भारत में हमले की साजिश रचने के लिए राणा की ट्रैवल एजेंसी का उपयोग किया, जिससे उसे भारत के विभिन्न स्थानों पर जाने में सहायता मिली।
2009 में, अमेरिकी अधिकारियों ने राणा को शिकागो में गिरफ्तार किया। उन पर मुंबई हमलों की साजिश में शामिल होने और आतंकवादियों को सहायता प्रदान करने का आरोप लगाया गया। 2011 में, उन्हें शिकागो में संघीय अदालत ने दोषी ठहराया, लेकिन उन्हें सीधे तौर पर मुंबई हमलों के लिए दोषी नहीं पाया गया। हालांकि, उन्हें डेनमार्क के एक समाचार पत्र के खिलाफ साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया, जिसने पैगंबर मोहम्मद के विवादास्पद कार्टून प्रकाशित किए थे।
प्रत्यर्पण की प्रक्रिया
भारत सरकार ने राणा के प्रत्यर्पण की मांग की, ताकि उन्हें मुंबई हमलों के लिए भारत में न्याय के कटघरे में खड़ा किया जा सके। अमेरिका और भारत के बीच इस मुद्दे पर कानूनी प्रक्रियाएँ चलीं। 2023 में, एक अमेरिकी अदालत ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी। उनके प्रत्यर्पण का मामला विभिन्न न्यायिक और कूटनीतिक प्रक्रियाओं से गुजर रहा है।
वर्तमान स्थिति
तहव्वुर हुसैन राणा फिलहाल अमेरिकी न्यायिक हिरासत में हैं, और उनके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया जारी है। यदि भारत में उन्हें दोषी पाया जाता है, तो उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
विरासत और प्रभाव
राणा का मामला भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया है।