टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army)

टेरिटोरियल आर्मी (टीए) भारतीय सेना का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो नागरिकों को सेना में शामिल होने और देश की सेवा करने का अवसर प्रदान करता है। इसकी स्थापना 9 अक्टूबर 1949 को की गई थी। टेरिटोरियल आर्मी को 'अंशकालिक सेना' भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें शामिल नागरिकों को उनकी नियमित नौकरी छोड़ने की आवश्यकता नहीं होती। यह सेना मुख्य रूप से आपातकालीन स्थितियों और विशेष परिस्थितियों में नागरिकों की सहायता करने और देश की आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए तैनात की जाती है।


टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army)


उद्देश्य और भूमिकाएं

टेरिटोरियल आर्मी का मुख्य उद्देश्य आवश्यकता के समय भारतीय सेना को अतिरिक्त सहायता प्रदान करना है। इसके कुछ प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:

  • आपातकाल में सेवा: युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं, और सामाजिक अशांति जैसी आपातकालीन स्थितियों में नियमित सेना का समर्थन करना।
  • राष्ट्रीय आपदाओं में सहायता: बाढ़, भूकंप, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं में नागरिकों को राहत पहुँचाना।
  • आंतरिक सुरक्षा में योगदान: आंतरिक सुरक्षा और शांति बनाए रखने में मदद करना।
  • कृषि एवं औद्योगिक उत्पादन में समर्थन: आवश्यकतानुसार नागरिक बुनियादी ढाँचे और उत्पादन क्षेत्रों में योगदान देना।


योग्यता और भर्ती प्रक्रिया

टेरिटोरियल आर्मी में शामिल होने के लिए व्यक्ति को निम्नलिखित योग्यताओं को पूरा करना होता है:

  • आयु सीमा: 18 से 42 वर्ष के बीच।
  • शैक्षिक योग्यता: स्नातक या समकक्ष।
  • स्वास्थ्य एवं फिटनेस: सेना की आवश्यक स्वास्थ्य एवं शारीरिक मापदंडों को पूरा करना आवश्यक है।
  • नागरिक पृष्ठभूमि: उम्मीदवार किसी भी सरकारी या निजी क्षेत्र में कार्यरत हो सकते हैं।

भर्ती प्रक्रिया में लिखित परीक्षा, साक्षात्कार और चिकित्सीय परीक्षण शामिल होते हैं। योग्य उम्मीदवारों को बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाती है।


प्रशिक्षण और सेवाकाल

टेरिटोरियल आर्मी के सैनिकों को नियमित सेना की तरह कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षित जवान हर वर्ष कुछ महीनों की सेवा देते हैं, जिससे उन्हें सेना के साथ अनुभव बनाए रखने में मदद मिलती है। ये जवान आमतौर पर नागरिक जीवन में लौट जाते हैं, लेकिन आवश्यकतानुसार इन्हें फिर से सेना में बुलाया जा सकता है।


महत्वपूर्ण अभियानों में भूमिका

टेरिटोरियल आर्मी ने भारत के कई महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों और आंतरिक सुरक्षा मिशनों में हिस्सा लिया है। इसके जवानों ने 1965 और 1971 के युद्धों में भी सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके अतिरिक्त, विभिन्न क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के कार्यों में भी टेरिटोरियल आर्मी का योगदान महत्वपूर्ण रहा है।


विशेष बटालियनें

टेरिटोरियल आर्मी में विभिन्न बटालियनें होती हैं, जिनमें मुख्य रूप से इन्फैंट्री, आर्टिलरी, और इंजीनियर जैसी शाखाएँ होती हैं। इसके अतिरिक्त, पारिस्थितिकी और पर्यावरण संरक्षण के कार्यों के लिए अलग से पारिस्थितिकी बटालियन भी स्थापित की गई हैं। ये बटालियनें वनों की सुरक्षा, वृक्षारोपण, और पर्यावरण की रक्षा में अहम योगदान देती हैं।


सर्वोच्च कमान और संगठनात्मक संरचना

टेरिटोरियल आर्मी का नेतृत्व भारतीय सेना के उच्च अधिकारी करते हैं। इसकी सर्वोच्च कमान भारतीय राष्ट्रपति के पास होती है, जो टेरिटोरियल आर्मी का औपचारिक अध्यक्ष होता है। इसका संचालन और प्रबंधन रक्षा मंत्रालय और सेना मुख्यालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाता है।


महत्व और योगदान

टेरिटोरियल आर्मी भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण पूरक बल है, जो आपातकालीन स्थितियों में त्वरित सहायता और देश की सुरक्षा में अभूतपूर्व योगदान देता है। इसका नागरिकों के साथ सीधा संबंध इसे एक अनूठा और सामरिक बल बनाता है, जो भारत के विकास और रक्षा दोनों में योगदान देता है।