विक्रम मिस्री एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक और प्रशासनिक अधिकारी हैं। वे भारतीय विदेश सेवा (IFS) के अनुभवी अधिकारी हैं और कई महत्वपूर्ण राजनयिक पदों पर कार्य कर चुके हैं। वर्तमान में, वे भारत सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल के डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy NSA) के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले, वे चीन में भारत के राजदूत (2019-2021) और विभिन्न अन्य देशों में राजनयिक जिम्मेदारियाँ निभा चुके हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
विक्रम मिस्री का जन्म 1964 में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत और विदेश में प्राप्त की। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक (B.A. History) किया और बाद में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से उच्च अध्ययन किया।
विदेश सेवा में करियर
आरंभिक राजनयिक यात्रा
विक्रम मिस्री 1989 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) में शामिल हुए।
अपने करियर के प्रारंभिक वर्षों में उन्होंने कई भारतीय मिशनों में सेवाएँ दीं, जिनमें ब्रुसेल्स, टोक्यो, काहिरा, इस्लामाबाद और वाशिंगटन डी.सी. शामिल हैं।
महत्वपूर्ण राजनयिक पद
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में उप सचिव
उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में सेवा दी।
भारत के राजदूत के रूप में नियुक्ति
स्पेन (2014-2016): उन्होंने भारत और स्पेन के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
म्यांमार (2016-2018): इस दौरान उन्होंने भारत-म्यांमार संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया।
चीन (2019-2021): भारत और चीन के बीच लद्दाख गतिरोध और गलवान घाटी संघर्ष के दौरान वे बीजिंग में भारत के राजदूत थे।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) में डिप्टी NSA
2022 में उन्हें भारत के डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy NSA) के रूप में नियुक्त किया गया।
चीन में राजदूत के रूप में भूमिका
चीन में भारत के राजदूत रहते हुए, विक्रम मिस्री को कई चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, जिनमें शामिल हैं:
डोकलाम विवाद (2017) में उनकी रणनीतिक भूमिका।
लद्दाख में भारत-चीन सैन्य संघर्ष (2020) के दौरान कूटनीतिक वार्ता का नेतृत्व।
भारत और चीन के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को संतुलित बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका।
अन्य प्रमुख उपलब्धियाँ
भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने में योगदान।
भारत-मध्य एशिया संबंधों को बढ़ावा देने में सहायक भूमिका।
म्यांमार और बांग्लादेश के साथ भारत के कूटनीतिक संबंधों में सुधार।
सम्मान और मान्यता
विक्रम मिस्री को उनकी राजनयिक विशेषज्ञता, रणनीतिक सोच और राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में प्रभावशाली योगदान के लिए सराहा गया है। वे भारत की विदेश नीति में व्यावहारिक और संतुलित दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।
निजी जीवन
विक्रम मिस्री को इतिहास, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और रणनीतिक मामलों में गहरी रुचि है। वे हिंदी, अंग्रेजी, फ्रेंच और अन्य कई भाषाओं में दक्ष हैं।
निष्कर्ष
विक्रम मिस्री भारत के प्रमुख राजनयिकों में से एक हैं, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को निभाया है। उनके नेतृत्व में भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को मजबूती मिली है। वर्तमान में डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy NSA) के रूप में उनकी भूमिका भारत की सुरक्षा और कूटनीतिक प्राथमिकताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।