Same-Sex Marriage India Judgement Verdict Live Update: समलैंगिक विवाह पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह कहना गलत है कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है.
समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को मान्यता मिलेगी या नहीं? सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इसपर अपना फैसला सुना रही है. सीजेआई ने कहा कि अदालत केवल कानून की व्याख्या कर सकती है, कानून नहीं बना सकती. उन्होंने कहा कि अगर अदालत LGBTQIA+ समुदाय के सदस्यों को विवाह का अधिकार देने के लिए विशेष विवाह अधिनियम की धारा 4 को पढ़ती है या इसमें कुछ शब्द जोड़ती है, तो यह विधायी क्षेत्र में प्रवेश कर जाएगा.
Homosexuality सिर्फ शहरी कॉन्सेप्ट नहीं
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि होमोसेक्युअलिटी क्या केवल अर्बन कांसेप्ट है? इस विषय को हमने डील किया है. CJI ने कहा कि ये कहना सही नहीं होगा कि केवल ये अर्बन यानी शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित है. ऐसा नहीं है कि ये केवल अर्बन एलिट तक सीमित है.
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सिर्फ अंग्रेजी बोलने वाले सफेदपोश आदमी नहीं हैं, जो समलैंगिक होने का दावा कर सकते हैं, बल्कि गांव में कृषि कार्य में लगी एक महिला भी समलैंगिक होने का दावा कर सकती है. यह छवि बनाना कि क्वीर लोग केवल शहरी और संभ्रांत स्थानों में मौजूद हैं, उन्हें खत्म करने जैसा है. शहरों में रहने वाले सभी लोगों को कुलीन नहीं कहा जा सकता.
विवाह की संस्था बदली, यह भी सत्य
CJI ने कहा कि विवाह की संस्था बदल गई है जो इस संस्था की विशेषता है. सती और विधवा पुनर्विवाह से लेकर अंतरधार्मिक विवाह को देखें तो तमाम बदलाव हुए हैं. यह एक अटल सत्य है और ऐसे कई बदलाव संसद से आए हैं. कई वर्ग इन परिवर्तनों के विरोधी रहे लेकिन फिर भी इसमें बदलाव आया है, इसलिए यह कोई स्थिर या अपरिवर्तनीय संस्था नहीं है.
संसद को बाध्य नहीं कर सकते
सीजेआई ने कहा कि हम संसद या राज्य विधानसभाओं को विवाह की नई संस्था बनाने के लिए बाध्य नहीं कर सकते. स्पेशल मैरिज एक्ट को सिर्फ इसलिए असंवैधानिक नहीं ठहरा सकते क्योंकि यह समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं देता है. क्या स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव की जरूरत है, यह संसद को पता लगाना है और अदालत को विधायी क्षेत्र में प्रवेश करने में सावधानी बरतनी चाहिए.
إرسال تعليق