सारांश: नेस्ले कंपनी के बेबी फूड में चीनी मिलाने के आरोपों के बाद भारत सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। इस रिपोर्ट में जानें इस मामले की गहराई और न्यूनतम दिशानिर्देश।
नेस्ले कंपनी के बेबी फूड में चीनी मिलाने के आरोपों के बाद भारत सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में भारतीय नियामक निकाय FSSAI की भी नजर है। नेस्ले कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) द्वारा जांच की जाएगी। साथ ही स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के सीनियर ऑफिसर भी इस मामले पर चर्चा करेंगे।
नेस्ले कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है, और बच्चों के लिए बेबी फूड के मामले में यह बहुत मशहूर है। इस मामले में डबल स्टैंडर्ड के आरोप लगाए जा रहे हैं, और इसके चलते FSSAI भी नेस्ले के उत्पादों पर नजर रख रही है। अगर किसी गड़बड़ी की पुष्टि होती है तो कंपनी पर कार्रवाई की जा सकती है।
बेबी फूड प्रोडक्ट्स पर डबल स्टैंडर्ड के मामले के बाद अब नेस्ले प्रोडक्ट्स पर FSSAI की भी नजर बनी हुई है। रेगुलेटर की साइंटिफिक कमिटी इस मामले की जांच करेगी। सरकार ने इस मामले में उपभोक्ता संरक्षण के अधिनियम के प्रावधानों का पालन करते हुए नेस्ले के बेबी फूड के नमूने लेने के आदेश दिए हैं।
यूरोप और एशिया में बेबी फूड पर नियमों में अंतर है। यूरोप और अमेरिका में बेबी फूड में एक्स्ट्रा शुगर का इस्तेमाल पर प्रतिबंध है, जबकि एशियाई देशों में ऐसा कोई नियम नहीं है। यह नियम कंपनियों को उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए लागू किया गया है।
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