सारांश: पश्चिम बंगाल में 2024 के लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी के साथ मुस्लिम वोटर का उत्साह बढ़ा है, लेकिन क्या भाजपा उसकी विपक्षी शक्ति बन पाएगी? प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी पर ध्यान देने योग्य है।
पश्चिम बंगाल कभी लेफ्ट का किला था, जो अब ममता बनर्जी का राजधानी बन चुका है। हालांकि, प्रशांत किशोर का मानना है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा नंबर एक पार्टी बनकर सामने आ सकती है। उनके अनुसार, भाजपा ने पश्चिम बंगाल में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की है और यह एक महत्वपूर्ण रणनीतिक चुनौती है।
प्रशांत किशोर ने इस बारे में अपने एक इंटरव्यू में विचार व्यक्त किया है। उनका कहना है कि भाजपा की संख्या एक दिन में 370 सीटों तक पहुंच सकती है, लेकिन वे अभी से ही सरकार बनाने के लिए अग्रणी हो सकती हैं। वे भविष्यवाणी करते हैं कि भाजपा तमिलनाडु, तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अपना प्रभाव बढ़ा सकती है।
प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी का महत्व इसलिए भी है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी स्थिति को मजबूत किया था। लोकसभा चुनाव में, 2019 में, भाजपा को टीएमसी के सामने केवल 2% वोट की कमी थी। यदि किसी पार्टी के पास पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक सीटें जीतने का रिकॉर्ड है, तो वह टीएमसी है, जो 2014 में 42 में से 34 सीटों पर विजयी हुई थी।
ममता बनर्जी के राज में, बंगाल में महिलाओं की विशेष उपेक्षा का मुद्दा सबसे अधिक चर्चा का विषय बन गया है। लेकिन क्या यह चर्चा वोट के परिणामों को प्रभावित करेगी, यह समय ही बताएगा।
कुछ स्थानीय पत्रकारों का मानना है कि भाजपा ने संदेशखाली के मुद्दे को बड़े ही उत्साह से उठाया है, लेकिन इसका बंगाल में बड़ा प्रभाव नहीं होने की संभावना है। यहां भाजपा की प्रभाव की दृष्टि से मुख्य विचार उसकी क्षेत्रीय प्रभुता है, लेकिन बशीरहाट जिले की विधानसभा क्षेत्र में उसका प्रभाव स्पष्ट हो सकता है।
भाजपा के साथ मतुआ समुदाय की संबंध में, यह बात सामने आ रही है कि उनका समर्थन भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण वोट बैंक हो सकता है, विशेष रूप से CAA के प्रस्तावित प्रभाव के कारण।
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