रूस द्वारा 2022 में लॉन्च किए गए सैटेलाइट कॉसमॉस-2553 को लेकर बाइडेन प्रशासन और अमेरिकी अधिकारी चिंता में हैं। वॉल स्ट्रीट जनरल में छपे एक लेख के अनुसार, यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में सैटेलाइट नष्ट करने वाले हथियार का परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि यह सैटेलाइट परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है, हालांकि, रूस ने इसमें परमाणु हथियार नहीं भेजा था। पुतिन के इस एंटी-सैटेलाइट न्यूक्लियर कार्यक्रम ने अमेरिका की चिंता को और बढ़ा दिया है।
अंतरिक्ष में विस्फोट से संभावित खतरे:
यदि रूस अंतरिक्ष में सैटेलाइट विस्फोट करता है, तो इससे सैटेलाइट का मलबा जमा हो जाएगा, जिससे कुछ कक्षाएं खतरनाक हो जाएंगी या इस्तेमाल के लायक नहीं बचेंगी। इससे संचार सेवाएं, इंटरनेट कनेक्शन, और स्मार्टफोन कार्यक्षमता पर बड़ा असर पड़ सकता है। यह स्थिति वैश्विक संचार और इंटरनेट सेवाओं के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।
रूस पर अमेरिका का अविश्वास:
रूस का कहना है कि कॉसमॉस-2552 सैटेलाइट वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भेजा गया है। हालांकि, अमेरिका को इस दावे पर भरोसा नहीं हो रहा है। फरवरी 2022 में इस सैटेलाइट को लॉन्च करने के बाद पुतिन ने यूक्रेन पर हमला करने का आदेश दिया था, जिससे अमेरिका की चिंताएं और बढ़ गईं। अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री मैलोरी स्टीवर्ट ने कहा कि कॉसमॉस-2553 की कक्षा ऐसे क्षेत्र में है, जिसका उपयोग किसी अन्य अंतरिक्ष यान द्वारा नहीं किया जाता है, और इसमें सामान्य से निचली कक्षाओं की तुलना में हाई रेडिएशन है।
संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव:
रिपोर्ट के अनुसार, रूस कई वर्षों से सैटेलाइट नष्ट करने की क्षमता हासिल करने की कोशिश कर रहा है। कॉसमॉस-2553 के लॉन्च के बाद से ही इस पर कई सवाल उठे। अमेरिका ने इस मुद्दे पर रूस से चर्चा की कोशिश की, लेकिन रूस ने सभी आशंकाओं को खारिज कर दिया। अमेरिका और जापान ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में भी उठाने का प्रयास किया, लेकिन रूस ने वीटो कर प्रस्ताव को गिरा दिया।
वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव:
रूस के इस कदम ने वैश्विक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अंतरिक्ष में सैटेलाइट विस्फोट से उत्पन्न मलबा न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान और वैज्ञानिक मिशनों के लिए खतरा है, बल्कि पृथ्वी पर संचार सेवाओं के लिए भी एक बड़ा जोखिम है। अगर इंटरनेट और स्मार्टफोन सेवाएं बाधित होती हैं, तो इसका सीधा असर वैश्विक अर्थव्यवस्था और समाज पर पड़ेगा।
रूस की प्रतिक्रिया:
रूस ने अमेरिकी आरोपों को नकारते हुए कहा है कि उसका अंतरिक्ष कार्यक्रम पूरी तरह से वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए है। रूस के सरकारी अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है। रूस ने यह भी कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करता है और उसका उद्देश्य अंतरिक्ष में शांति और सुरक्षा को बनाए रखना है।
अमेरिकी तैयारी:
अमेरिका ने अपने अंतरिक्ष सुरक्षा कार्यक्रम को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग ने कहा है कि वह अंतरिक्ष में किसी भी संभावित खतरे का सामना करने के लिए तैयार है। इसके लिए अमेरिका ने अपने सैटेलाइट और अन्य अंतरिक्ष यानों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए नई तकनीकों का विकास शुरू कर दिया है।
अंतरिक्ष में नई होड़:
रूस और अमेरिका के बीच यह नया तनाव अंतरिक्ष में नई होड़ को जन्म दे सकता है। दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष में बढ़ती प्रतिस्पर्धा से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इस होड़ के चलते अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में नई चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं।
निष्कर्ष:
रूस के सैटेलाइट कॉसमॉस-2553 को लेकर उठे सवाल और संभावित खतरे वैश्विक संचार सेवाओं और अंतरिक्ष सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। अंतरिक्ष में किसी भी तरह का विस्फोट न केवल वैज्ञानिक और अनुसंधान परियोजनाओं को बाधित कर सकता है, बल्कि पृथ्वी पर जीवन की गुणवत्ता पर भी असर डाल सकता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मुद्दे पर मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि अंतरिक्ष को सुरक्षित और शांतिपूर्ण रखा जा सके।
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