सारांश: हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी, बिलासपुर और सोलन जिलों में जंगलों में आग लगी हुई है, जिससे रिहायशी इलाकों और रेलवे सेवाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। वन विभाग आग बुझाने के प्रयास कर रहा है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण चुनौतियाँ बढ़ रही हैं।
शिमला के जंगलों में आग का कहर
हिमाचल प्रदेश के जिले के आसपास के जंगल पिछले तीन दिनों से जल रहे हैं। इस आग ने तारा देवी और समरहिल के जंगलों को अपनी चपेट में ले लिया है। गुरुवार को इस आग के कारण शिमला-कालका रेल ट्रैक पर सभी ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह से रोकनी पड़ी। यह आग तेजी से रिहायशी इलाकों की तरफ बढ़ रही है, जिससे स्थानीय लोगों में भय का माहौल है।
लाखों बेजुबान जानवरों की मौत
हिमाचल प्रदेश में जंगल की आग ने लाखों बेजुबान जानवरों की जान ले ली है। शिमला, मंडी, बिलासपुर और सोलन जिले के चिड़ के जंगल लगातार जल रहे हैं। वन विभाग कुछ इलाकों में आग बुझाने में जुटा है, लेकिन आग पर काबू पाने में सफलता नहीं मिल रही है। सोलन और शिमला में जंगल की आग रिहायशी इलाकों तक पहुंच गई है, जिससे स्थानीय निवासियों को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है।
रेल सेवा पर असर
शिमला के तारा देवी और समरहिल के जंगलों में आग लगने के कारण शिमला-कालका रेल ट्रैक पर ट्रेन सेवाएं बंद करनी पड़ी हैं। तारा देवी स्टेशन पर कई ट्रेनें खड़ी रही जबकि कुछ ट्रेनों को नीचे ही रोक दिया गया। इस कारण यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। टूरिस्ट सीजन के चलते शिमला आने वाली सभी ट्रेनें पूरी तरह से भरी हुई हैं, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।
बिलासपुर में एम्स के पास आग
बिलासपुर जिले में एम्स अस्पताल के पास के जंगलों में भी आग लग गई है। बंदलाधार का सारा जंगल राख हो गया है। सोलन के कसौली और मंडी जिले के कोटली के तुंगल इलाके में भी चिड़ के जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। आग के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ है और लोगों को आँखों में जलन महसूस हो रही है।
आग के मामले बढ़ते जा रहे हैं
हिमाचल प्रदेश में पिछले 75 दिनों में जंगलों में आग के 1080 मामले सामने आए हैं। प्रतिदिन लगभग 50 मामले रिपोर्ट हो रहे हैं। वन विभाग के पास आग बुझाने के लिए मैनपावर और संसाधनों की कमी है, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है। ग्रामीण इलाकों में लोग कुछ हद तक मदद कर रहे हैं, लेकिन उनके प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।
बेबस वन विभाग
हिमाचल प्रदेश वन विभाग के एडिशनल प्रिंसिपल चीफ कन्जर्वेटर पीके राणा ने बताया कि गर्मी के सीजन से पहले विभाग ने लोगों को जागरूक करने के लिए 900 मीटिंग की थी। कई इलाकों में लोग भी मदद के लिए आगे आ रहे हैं। मुख्य सचिव ने भी आपदा प्रबंधन और विभिन्न विभागों से मीटिंग की है। हालांकि, ड्राई स्पेल के चलते आग ज्यादा भड़क रही है और वन विभाग के पास आग बुझाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
समस्याओं का समाधान आवश्यक
हिमाचल प्रदेश में जंगल की आग की समस्या का समाधान करना बहुत जरूरी है। वन विभाग को अधिक संसाधन और मैनपावर उपलब्ध कराना होगा। साथ ही, स्थानीय लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ उनकी मदद लेना भी आवश्यक है। आग को काबू में करने के लिए प्रभावी योजनाओं और प्रौद्योगिकी का उपयोग करना होगा।
एक टिप्पणी भेजें