सारांश : नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने 250 रुपये से कम कीमत वाले शेयरों के लिए टिक साइज 1 पैसे का करने का फैसला लिया है। यह निर्णय 10 जून से लागू होगा। टिक साइज बिड और ऑफर के बीच का न्यूनतम अंतर होता है। इस निर्णय का उद्देश्य बीएसई (BSE) के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा में NSE की स्थिति मजबूत करना है।
नई दिल्ली। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) देश के दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं। दोनों एक्सचेंजों पर ज्यादातर प्रमुख शेयर सूचीबद्ध हैं और इन पर खरीद-बिक्री की जा सकती है। हालांकि, बीएसई पर एनएसई के मुकाबले लगभग दोगुने शेयर सूचीबद्ध हैं। इस स्थिति में, दोनों एक्सचेंजों की कोशिश होती है कि उनकी ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़े। इसी प्रतिस्पर्धा के तहत एनएसई ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है।
एनएसई का नया टिक साइज नियम
एनएसई ने घोषणा की है कि 250 रुपये से कम कीमत वाले शेयरों के लिए टिक साइज 1 पैसे का होगा। यह नियम 10 जून से लागू होगा। अब तक, टिक साइज आमतौर पर 5 पैसे का होता था। एनएसई का सर्कुलर 24 मई को जारी किया गया था, जिसमें इस नए नियम की घोषणा की गई थी।
टिक साइज का महत्व
टिक साइज दो बिड्स (खरीदने का भाव) और ऑफर (बेचने का भाव) के बीच का अंतर होता है। उदाहरण के लिए, यदि आप एक स्टॉक 151.01 रुपये पर खरीदना चाहते हैं और कोई इसे 151.01 रुपये पर बेचना चाहता है, तो पुराने नियम के तहत यह अंतर 5 पैसे का होता था, जैसे कि 151.05 या 151.10 रुपये। नए नियम के तहत, यह अंतर अब 1 पैसे का होगा, जिससे 151.01 और 151.02 रुपये पर भी बिड और ऑफर किया जा सकेगा। यह परिवर्तन निवेशकों को अधिक सटीकता से बिड और ऑफर करने की सुविधा प्रदान करेगा।
एनएसई का सर्कुलर और नए नियम की जानकारी
एनएसई द्वारा जारी किए गए सर्कुलर के अनुसार, यह नया टिक साइज नियम सभी सिक्योरिटीज पर लागू होगा, सिवाय एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) के। टी+1 सेटलमेंट वाली सिक्योरिटीज का टिक साइज टी+0 सेटलमेंट (T0) सीरीज में भी लागू होगा। एनएसई ने जानकारी दी है कि हर महीने के अंतिम ट्रेडिंग दिन के क्लोजिंग प्राइस के आधार पर टिक साइज की समीक्षा और समायोजन किया जाएगा। यह नियम 10 जून से केवल कैश सेगमेंट में लागू होगा, लेकिन 8 जुलाई से यह फ्यूचर स्टॉक्स में भी लागू हो जाएगा।
प्रतिस्पर्धा का कारण
एनएसई और बीएसई दोनों अलग-अलग स्टॉक एक्सचेंज हैं। बड़े स्टॉक्स दोनों एक्सचेंज पर सूचीबद्ध हैं, लेकिन बहुत से ऐसे स्टॉक्स हैं जो केवल बीएसई पर सूचीबद्ध हैं। 31 दिसंबर 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार, एनएसई पर कुल 2,266 स्टॉक्स सूचीबद्ध थे, जबकि 24 जनवरी 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार, बीएसई पर 5,309 कंपनियां सूचीबद्ध थीं। इस प्रतिस्पर्धा में एनएसई की कोशिश है कि वह ट्रेडिंग वॉल्यूम के मामले में बीएसई के बराबर या उससे अधिक हो सके।
नए नियम का निवेशकों पर प्रभाव
एनएसई का यह नया नियम निवेशकों के लिए कई मायनों में फायदेमंद साबित होगा। छोटे टिक साइज से निवेशक अधिक सटीकता से बिड और ऑफर कर सकेंगे, जिससे उनकी ट्रेडिंग लागत कम होगी। इसके अलावा, यह कदम एनएसई को अधिक आकर्षक बनाएगा और उसकी ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ाने में मदद करेगा।
बीएसई पर एनएसई की बढ़त
बीएसई पर एनएसई की तुलना में अधिक शेयर सूचीबद्ध होने के बावजूद, एनएसई का यह नया नियम उसे प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ाने की कोशिश है। इससे एनएसई पर भी अधिक ट्रेडिंग वॉल्यूम आने की संभावना बढ़ेगी।
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