सारांश : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के गोल्ड लोन पर कड़े नियम लागू किए हैं। अब एनबीएफसीज को सोने के गहनों की कुल कीमत का केवल 75% ही लोन के रूप में देना होगा और 20,000 रुपये से अधिक की राशि केवल बैंक खाते में ही जमा की जाएगी। यह सख्ती एनबीएफसीज के कारोबार और ग्राहकों दोनों पर विपरीत प्रभाव डालेगी।
- आरबीआई की सख्ती: एनबीएफसीज को गोल्ड लोन में नियमों का पालन करने की कड़ी हिदायत।
- लोन की सीमा: सोने की कुल कीमत का केवल 75% ही लोन दिया जाएगा।
- नकद में लोन पर रोक: 20,000 रुपये से अधिक की राशि बैंक खाते में ही जमा की जाएगी।
- प्रभाव: एनबीएफसीज के कारोबार पर नकारात्मक असर और ग्राहकों को कम लोन और अधिक कागजी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
- गोल्ड लोन का उछाल: महामारी के बाद गोल्ड लोन का कारोबार चार गुना बढ़ा।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गोल्ड लोन के नियमों के उल्लंघन की लगातार मिल रही शिकायतों के चलते गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसीज) पर सख्ती बढ़ा दी है। आरबीआई ने नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एनबीएफसीज पर निगरानी कड़ी कर दी है। इसके तहत, आईआईएफएल फाइनेंस को मार्च में नए गोल्ड लोन जारी करने से रोक दिया गया था। इस सख्ती के चलते गोल्ड लोन लेने वाले आम आदमी को मुश्किलें हो सकती हैं और एनबीएफसीज के कारोबार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
आरबीआई के नए निर्देशों के अनुसार, एनबीएफसीज को गिरवी रखे गए सोने की कुल कीमत का केवल 75 प्रतिशत ही लोन के रूप में देना होगा। पहले कुछ एनबीएफसीज इस सीमा से अधिक लोन राशि दे रही थीं, जिससे ग्राहकों को अधिक राशि मिल रही थी। इसके अलावा, लोन राशि ग्राहक के बैंक खाते में जमा करने के बजाय नकदी में देने की भी शिकायतें मिल रही थीं। अब, आरबीआई ने यह सुनिश्चित किया है कि 20,000 रुपये से अधिक की लोन राशि ग्राहक के बैंक खाते में ही जमा की जाएगी।
इस सख्ती का सीधा असर एनबीएफसीज के गोल्ड लोन पोर्टफोलियो पर पड़ेगा। नकदी में तुरंत लोन देने की सुविधा के चलते एनबीएफसीज का गोल्ड लोन बिजनेस तेजी से बढ़ा था। अब इस पर रोक लगने से एनबीएफसीज का गोल्ड लोन कारोबार आकर्षक नहीं रह जाएगा। इसके अलावा, बैंकों के मुकाबले एनबीएफसीज सोने पर अधिक लोन राशि देती थीं, जिससे ग्राहकों को फायदा होता था। लेकिन अब केवल सोने के मूल्य का 75 प्रतिशत ही लोन दिया जा सकेगा, जिससे गोल्ड लोन कारोबार पर असर होगा।
गोल्ड लोन लेने वाले ग्राहकों पर भी इस सख्ती का प्रभाव पड़ेगा। पहले के मुकाबले अब उन्हें सोने के गहनों पर कम लोन मिलेगा। इसके अलावा, अधिक कागजी कार्रवाई के चलते लोन मिलने में अधिक समय लगेगा। इससे ग्राहकों को परेशानी हो सकती है, खासकर उन्हें जो तुरंत नकदी की आवश्यकता में होते हैं।
कोरोना महामारी के बाद से एनबीएफसीज का गोल्ड लोन बिजनेस में काफी उछाल आया है। महामारी के दौरान आरबीआई ने एनबीएफसीज को गोल्ड लोन देने में कुछ छूट दी थी, जिससे वे गिरवी रखे सोने की कुल कीमत का 90 प्रतिशत तक लोन दे सकती थीं। वित्त वर्ष 2020 में एनबीएफसीज का गोल्ड लोन बिजनेस 35,000 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 1,31,000 करोड़ रुपये हो गया। यह उछाल इस बात का संकेत है कि गोल्ड लोन बिजनेस में कितनी तेजी से वृद्धि हो रही थी।
अब, आरबीआई की सख्ती के चलते एनबीएफसीज को अपने गोल्ड लोन कारोबार में बदलाव करना होगा। उन्हें नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा, जिससे उनका कारोबार प्रभावित होगा। इसके अलावा, ग्राहकों को भी गोल्ड लोन लेने में अधिक समय और कागजी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी।
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