सारांश : मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि इस साल मानसून की शुरुआत धीमी है, जिससे देश के कई हिस्सों में 20 प्रतिशत कम बारिश हुई है। उत्तर भारत में हीट वेव और मानसून की देरी से लोगों को अधिक गर्मी झेलनी पड़ रही है। अगले कुछ दिनों में कुछ हिस्सों में सुधार की उम्मीद है, लेकिन पूरे देश में औसत से कम बारिश की संभावना बनी हुई है।


मानसून की धीमी रफ्तार: हीट वेव के बाद अब मानसून भी देगा परेशानियाँ


मानसून की धीमी शुरुआत और हीट वेव का कहर

भारत में इस साल मानसून ने समय पर दस्तक दी, लेकिन 1 जून से 18 जून तक यह अपनी सामान्य रफ्तार से काफी धीमा है। मौसम विभाग (IMD) की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में देश में औसत से 20 प्रतिशत कम बारिश हुई है। 12-18 जून के बीच मानसून की प्रगति भी बहुत धीमी रही है, जिससे पूरे उत्तर भारत में भीषण गर्मी और हीट वेव का प्रकोप जारी है।


उत्तर भारत में गर्मी से त्रस्त लोग

दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में लोग भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं। इन राज्यों में हीट वेव के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लोग मानसून की बारिश से राहत की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन IMD की रिपोर्ट के अनुसार, मानसून की धीमी रफ्तार से उन्हें अभी और इंतजार करना पड़ेगा।


अगले कुछ दिनों में सुधार की उम्मीद

हालांकि, IMD ने उम्मीद जताई है कि अगले तीन से चार दिनों में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी, बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों में मानसून की स्थिति में सुधार हो सकता है। मौसम विभाग ने बताया कि 1 जून से 18 जून तक देश में 64.5 मिमी बारिश हुई है, जो कि औसत 80.6 मिमी से 20 प्रतिशत कम है।


केरल में शुरुआती तेजी के बाद धीमा पड़ा मानसून

इस साल मानसून ने 30 मई को केरल में दस्तक दी थी, जो कि तय समय से दो दिन पहले था। इसके बाद 12 जून तक मानसून ने केरल, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दक्षिणी महाराष्ट्र, दक्षिणी छत्तीसगढ़, दक्षिणी ओडिशा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और सभी पूर्वोत्तर राज्यों को कवर कर लिया था। लेकिन 12 जून के बाद से 18 जून तक मानसून की प्रगति में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है।


देश के विभिन्न हिस्सों में वर्षा की स्थिति

IMD की रिपोर्ट के अनुसार, देश के 11 मौसम सब डिविजन में 1 से 18 जून के बीच सामान्य से अधिक वर्षा हुई है, जबकि 25 सब डिविजन में सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई है। पूर्वानुमान से यह पता चलता है कि जून में पूरे देश में औसत वर्षा सामान्य से कम रहने की संभावना है। मई में IMD ने यह भविष्यवाणी की थी कि मानसूनी सीजन (जून से सितंबर के बीच) में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है, लेकिन वर्तमान स्थिति इससे अलग है।


मानसून की भविष्यवाणियों और वास्तविकता का अंतर

IMD की मई की भविष्यवाणी और जून के वास्तविक आंकड़ों के बीच बड़ा अंतर दिख रहा है। जहां एक तरफ मौसम विभाग ने सामान्य से अधिक बारिश की उम्मीद जताई थी, वहीं दूसरी ओर अभी तक की बारिश औसत से काफी कम है। यह अंतर मौसम के बदलते पैटर्न और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को दर्शाता है, जो मानसून की प्रगति और तीव्रता को प्रभावित कर सकता है।


जलवायु परिवर्तन और मानसून

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मानसून पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मानसून की अनियमितता और बारिश की कमी से न केवल किसानों को नुकसान हो रहा है, बल्कि पानी की कमी और गर्मी के कारण आम जनता भी प्रभावित हो रही है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस स्थिति से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।


मानसून की स्थिति के लिए तैयारियां

सरकार और संबंधित विभागों को मानसून की अनियमितता के मद्देनजर पानी की बचत और वितरण की योजनाएं तैयार करनी चाहिए। हीट वेव से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य और जल स्रोतों की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।

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