सारांश : हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पादों के महत्व को बताना है। इस वर्ष विश्व रक्तदाता दिवस अपनी 20वीं वर्षगांठ मना रहा है। भारत में ब्लड डोनेट करने में कई बाधाएं हैं, जिनमें पेचीदा गाइडलाइंस और सामाजिक धारणाएं प्रमुख हैं। इस लेख में जानें कि भारतीयों के ब्लड डोनेट करने और प्राप्त करने में क्या समस्याएं हैं और इन्हें कैसे दूर किया जा सकता है।
ब्लड डोनेशन का महत्व:
विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पादों के महत्व को बताना है। 2005 में वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। इस वर्ष, यह अपनी 20वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस साल का थीम है "थैंक यू ब्लड डोनर्स!"।
भारत में ब्लड डोनेशन की स्थिति:
2022 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 14.6 मिलियन यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है, जबकि हमेशा दस लाख यूनिट की कमी बनी रहती है। यह कमी इसलिए भी है क्योंकि ब्लड डोनेट करने में कई बाधाएं हैं, जैसे कि पेचीदा गाइडलाइंस और सामाजिक धारणाएं।
पेचीदा गाइडलाइंस:
भारत में ब्लड डोनेट करने के लिए जारी गाइडलाइंस अंतिम बार 2020 में अपडेट की गई थी। इसमें समलैंगिक पुरुषों और सेक्स वर्कर्स को 'हाई रिस्क' कैटेगरी में रखा गया है। यह दिशानिर्देश न केवल भ्रामक हैं, बल्कि अस्पष्ट भी हैं, जो वास्तविक व्यवहार में काफी भिन्नता पैदा करते हैं। इसके अलावा, थायरॉयड जैसी कुछ बीमारियों से पीड़ित लोगों को भी ब्लड डोनेट करने से कई बार रोक दिया जाता है।
सामाजिक धारणाएं:
भारत में एनिमिया की स्थिति गंभीर है, और कई लोग ब्लड डोनेट करने से डरते हैं कि वे कमजोर हो जाएंगे। यह धारणा समाज के विभिन्न वर्गों में प्रचलित है और इसे दूर करने की आवश्यकता है। ब्लड डोनेट करने के बाद कमजोर होने का डर और पौरुष क्षमता में कमी जैसी धारणाएं भी ब्लड डोनेशन को प्रभावित करती हैं।
ब्लड बैंकों की चुनौतियां:
1998 में प्रोफेशनली ब्लड डोनेट करने पर बैन लगने के बाद ब्लड बैंकों में ब्लड की कमी को दूर करना एक मुश्किल काम रहा है। आज भी अधिकांश ब्लड बैंकों में ब्लड की पुनः आपूर्ति परिवार या नजदीकी जानकारों पर निर्भर है। इसके बावजूद सरकारी गाइडलाइंस में 100 प्रतिशत स्वैच्छिक दान की बात कही गई है।
समाधान की दिशा में प्रयास:
ब्लड डोनेशन संबंधी गाइडलाइंस को देश की जरूरतों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए बेहतर प्रोटोकॉल की आवश्यकता है। ब्लड बैंकों के अधिकारियों को डोनर को मना करने से पहले उनसे जरूरी जानकारी देकर उन्हें डोनेट करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
إرسال تعليق