सारांश दिल्ली शराब घोटाले में सीबीआई ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की है। आरोप है कि केजरीवाल और उनकी सरकार के सदस्यों ने आबकारी नीति में भ्रष्टाचार किया और मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्त थे। इस मामले की जांच ईडी भी कर रही है।


नई दिल्ली: दिल्ली शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चार्जशीट पेश, जांच में बड़े खुलासे


नई दिल्ली। दिल्ली की आबकारी नीति में भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूरक चार्जशीट राउज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल की। आरोप पत्र में केजरीवाल और उनके सहयोगियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सीबीआई का दावा है कि गहन जांच के बाद ही यह चार्जशीट दाखिल की गई है।


पिछले वर्ष जून में, सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार किया था। राउज एवेन्यू कोर्ट ने एजेंसी को उनसे कोर्ट में पूछताछ करने की अनुमति दी थी। सीबीआई का कहना है कि यह चार्जशीट केजरीवाल और उनकी सरकार के सदस्यों द्वारा किए गए व्यापक घोटाले की पुष्टि करती है।


ईडी की चार्जशीट और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप

मई 2024 में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी केजरीवाल के खिलाफ 200 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें केजरीवाल को आबकारी नीति मामले में "मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक" बताया गया है। आरोप है कि आप के पूर्व मीडिया प्रभारी और केजरीवाल के करीबी सहयोगी विजय नायर ने कई शराब उत्पादकों और व्यापारियों के साथ मिलकर साजिश रची थी।


लाभ मार्जिन में वृद्धि का मामला

सीबीआई के अनुसार, केजरीवाल ने शराब के थोक विक्रेताओं का लाभ मार्जिन 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करवा दिया था। यह फैसला केजरीवाल की अध्यक्षता वाली कैबिनेट द्वारा बिना कोई ठोस वजह बताए लिया गया था। इससे पहले कोर्ट में सुनवाई के दौरान, सीबीआई ने कहा था, "अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले की साजिश का हिस्सा हैं। दिल्ली सरकार के सभी फैसले उनके निर्देशानुसार लिए गए।"


मनी लॉन्ड्रिंग और गिरफ्तारी

गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन वे अभी भी जेल में हैं। सीबीआई ने भी उन्हें इसी मामले में गिरफ्तार किया है।


इस मामले की जांच में कई बड़े खुलासे हुए हैं, जिसमें यह स्पष्ट हुआ है कि दिल्ली की नई आबकारी नीति के तहत कई नियमों का उल्लंघन हुआ है और इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। आरोप है कि इस नीति को लागू करने के पीछे मुख्य उद्देश्य निजी लाभ था, न कि सार्वजनिक हित।


सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसियों की जांच के चलते यह मामला और भी गंभीर हो गया है। इस घोटाले ने दिल्ली की राजनीति में भी भूचाल ला दिया है। अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार को अब इस मामले में अदालत का सामना करना होगा और उन्हें अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब देना होगा।

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