केरल के वायनाड जिले में भारी बारिश के बाद भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। इस हादसे में अब तक 158 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग लापता हैं। राहत और बचाव कार्य जारी हैं, और रेड अलर्ट के कारण सभी स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। मौसम विभाग ने अगले कुछ घंटों में और बारिश की चेतावनी दी है।
केरल के वायनाड जिले में 30 जुलाई को तड़के आए भूस्खलन ने इलाके में भारी तबाही मचाई है। अब तक 151 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग लापता हैं। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण लोगों के घरों में पानी और मिट्टी घुस गई है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन वायनाड के हालातों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी हैं। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस भी वायनाड पहुंच रहे हैं ताकि वे चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ले सकें।
भारतीय सेना के जवानों ने चूरलमाला में बचाव अभियान शुरू किया है। सेना की चार टीमें और एनडीआरएफ की टीमें लोगों को बचाने के काम में जुटी हुई हैं। मौसम विभाग ने अगले तीन घंटों में तेज हवाओं और भारी बारिश की संभावना जताई है और केरल के पथानामथिट्टा, अलाप्पुझा, कोट्टायम, एर्नाकुलम, वायनाड, कोझिकोड़, कन्नूर, और कासरगोड़ जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है।
केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) के अनुसार, फायर एंड रेस्क्यू, सिविल डिफेंस, एनडीआरएफ और स्थानीय आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों के सदस्य बचाव कार्यों में लगे हुए हैं। डीएससी सेंटर कन्नूर से 200 भारतीय सेना के जवान और कोझिकोड से 122 टीए बटालियन भी घटनास्थल पर मौजूद हैं। भारतीय वायुसेना के दो हेलीकॉप्टर भी बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं।
आपदा और लगातार बारिश को देखते हुए 31 जुलाई को सभी स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे। केरल के 11 जिलों कासरगोड, कन्नूर, कोझीकोड, वायनाड, मलप्पुरम, पलक्कड़, त्रिशूर, इडुक्की, एर्नाकुलम, अलाप्पुझा और पथानामथिट्टा में छुट्टी का ऐलान कर दिया गया है।
वायनाड भूस्खलन की चपेट में आकर घायल हुए 120 से ज्यादा लोगों का इलाज वायनाड के अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, ज्यादातर पीड़ित चाय बागानों में काम करते थे और सड़क किनारे या बागानों में छोटे घरों में रहते थे।
एनडीआरएफ कमांडर अखिलेश कुमार ने कहा, "हमने कल मुंडक्कई गांव से घायल पीड़ितों को बचाया। हमें डर है कि पीड़ित ढही हुई इमारतों में फंसे हो सकते हैं। कल रात 10 बजे तक हमने 70 लोगों को बचाया, जिसके बाद खराब मौसम और बारिश के कारण हमें रुकना पड़ा।"
अखिलेश ने कहा, "कई टीमें राहत-बचाव का काम कर रही हैं, इसलिए हम मौतों की सटीक संख्या नहीं दे सकते। हम केवल उन शवों के बारे में जानते हैं जिन्हें हमारी टीम ने बरामद किया। लोगों को नदी के दूसरी ओर एक रिसॉर्ट और एक मस्जिद में आश्रय दिया गया है। बारिश अभी भी हो रही है, इसलिए एक और भूस्खलन की संभावना है।"
वायनाड जिले में बचाव अभियान के लिए तैनात सेना ने भारी बारिश और भूस्खलन की वजह से स्थायी अवसंरचना बह जाने के बाद एक अस्थायी पुल की मदद से करीब 1000 लोगों को बचाने में कामयाबी हासिल की है।
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