सारांश : अडानी ग्रुप ने लैंको अमरकंटक पावर लिमिटेड का 4100 करोड़ रुपए में अधिग्रहण कर लिया है, जिसमें जिंदल पावर और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया। NCLT की मंजूरी के बाद इस डील को अंतिम रूप दिया गया। इस अधिग्रहण से अडानी की पावर क्षमता में 600 मेगावाट का इजाफा होगा, जो इसे ऊर्जा क्षेत्र में और मजबूत बनाएगा।
अडानी ग्रुप ने एक बार फिर भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया है। उन्होंने लैंको अमरकंटक पावर लिमिटेड का अधिग्रहण 4100 करोड़ रुपए की बड़ी रकम में किया है। इस डील के पीछे NCLT (राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण) की मंजूरी थी, जिसने इस प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया। लैंको अमरकंटक के अधिग्रहण के लिए कई प्रमुख कंपनियां दौड़ में थीं, जिनमें नवीन जिंदल की जिंदल पावर और मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज शामिल थीं।
लैंको अमरकंटक, जो छत्तीसगढ़ में स्थित 600 मेगावाट क्षमता वाला एक पावर प्लांट है, वित्तीय संकटों से गुजर रहा था। इसके कारण इसे इन्सॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया के तहत लाया गया। अडानी ग्रुप ने शुरुआत में 3,650 करोड़ रुपए का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने बाद में अपने ऑफर में बदलाव करते हुए इसे 4100 करोड़ रुपए तक बढ़ा दिया। इस बढ़े हुए ऑफर के कारण अडानी ग्रुप ने आखिरकार इस डील को अपने नाम कर लिया।
जिंदल पावर, जो इस कंपनी को खरीदने के लिए अग्रणी थी, ने 4,200 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। लेकिन जनवरी 2024 में, जिंदल पावर ने अचानक से इस दौड़ से बाहर होने का फैसला किया, जिससे अडानी के लिए यह अधिग्रहण और भी आसान हो गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज भी इस प्रक्रिया का हिस्सा थी, लेकिन अडानी की रणनीति और बेहतर ऑफर ने उसे पीछे छोड़ दिया।
लैंको अमरकंटक का अधिग्रहण अडानी ग्रुप के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह पावर प्लांट न केवल छत्तीसगढ़ में स्थित है, बल्कि इसके पास हरियाणा और मध्य प्रदेश के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट भी हैं। अडानी ग्रुप, जो पहले से ही ऊर्जा क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति रखता है, इस अधिग्रहण के साथ अपनी पावर क्षमता को 15,850 मेगावाट तक पहुंचा देगा। इससे उन्हें ऊर्जा उत्पादन और वितरण के क्षेत्र में और अधिक प्रभावी बनने का मौका मिलेगा।
लैंको अमरकंटक का पावर प्लांट रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह प्लांट छत्तीसगढ़ में स्थित है, जो भारत के प्रमुख ऊर्जा उत्पादन राज्यों में से एक है। इसके अतिरिक्त, कंपनी के पास कई पावर परचेज एग्रीमेंट्स हैं, जो इसे अतिरिक्त स्थिरता प्रदान करते हैं। अडानी ग्रुप के पास अब इस अधिग्रहण के बाद अधिक व्यापक और प्रभावी पावर उत्पादन क्षमता होगी, जिससे वे देश के ऊर्जा जरूरतों को और बेहतर तरीके से पूरा कर सकेंगे।
इस डील का भारतीय ऊर्जा बाजार पर बड़ा असर पड़ सकता है। अडानी ग्रुप ने जिस तेजी से अपने व्यापार का विस्तार किया है, वह दिखाता है कि वे आने वाले समय में भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की तैयारी कर रहे हैं। इस अधिग्रहण से यह भी साबित होता है कि अडानी ग्रुप अपनी रणनीतिक सोच और निवेश के माध्यम से प्रतिस्पर्धियों को पछाड़ सकता है।
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