सारांश : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इससे पहले उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत मिल चुकी है, लेकिन सीबीआई केस में अभी तक राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट में उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जल्द सुनवाई की मांग की है। अब देखना यह है कि क्या कोर्ट केजरीवाल को जमानत देने का फैसला करता है या नहीं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जो पहले ही मनी लॉन्ड्रिंग केस में अंतरिम जमानत प्राप्त कर चुके हैं, ने अब अपनी सीबीआई गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस महत्वपूर्ण कानूनी लड़ाई में, केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की अपील की है। यह मामला भारतीय राजनीति में व्यापक चर्चा का विषय बन गया है, खासकर तब जब उनकी पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया भी इसी तरह के आरोपों में पहले से जेल में हैं।
चीफ जस्टिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, केजरीवाल के वकील से औपचारिक ईमेल भेजने को कहा है, ताकि सुनवाई प्रक्रिया को तेजी से शुरू किया जा सके। सीबीआई केस में अभी तक उन्हें जमानत नहीं मिली है, जबकि दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट से जमानत की मांग करने को कहा था, लेकिन वहां से भी कोई राहत न मिलने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
अरविंद केजरीवाल को पहले मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने 25 जून को इस आदेश पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जहां से उन्हें 12 जुलाई को अंतरिम जमानत मिल गई थी। इसके बावजूद, सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और तब से वह तिहाड़ जेल में बंद हैं।
यह मामला न केवल अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय न्यायपालिका और कानूनी प्रक्रियाओं की निष्पक्षता के लिए भी एक महत्वपूर्ण परीक्षण है। क्या सुप्रीम कोर्ट उन्हें जमानत देगा, या क्या उन्हें तिहाड़ जेल में ही रहना पड़ेगा? यह सवाल अब हर किसी के मन में है।
अगर केजरीवाल को जमानत मिलती है, तो यह न केवल उनके लिए, बल्कि उनकी पार्टी और समर्थकों के लिए भी एक बड़ी जीत होगी। लेकिन अगर उन्हें जमानत नहीं मिलती, तो यह उनकी राजनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकता है, और इसका प्रभाव आम आदमी पार्टी पर भी पड़ सकता है। इस समय, सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई हैं, जो आने वाले दिनों में इस मामले पर अपना फैसला सुनाएगा।
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