सारांश :  सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में एक डॉक्टर के रेप और मर्डर केस का स्वतः संज्ञान लेते हुए एक नेशनल टास्क फोर्स (NTF) का गठन किया है। इस टास्क फोर्स का उद्देश्य देशभर में डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। कोर्ट ने सभी राज्यों से अस्पतालों में सुरक्षा उपायों पर रिपोर्ट मांगी है और NTF को तीन हफ्तों में अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश को चिकित्सा पेशे में सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, और बदलाव के लिए एक और रेप का इंतजार नहीं किया जा सकता।

Doctor की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए Supreme Court का कड़ा कदम: नेशनल टास्क फोर्स का गठन


सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ हुए जघन्य अपराध, जिसमें उनका रेप और मर्डर हुआ, का स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में कड़ा कदम उठाया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में गठित बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए एक नेशनल टास्क फोर्स (NTF) का गठन किया। यह टास्क फोर्स देशभर में चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाएगी।


सुप्रीम कोर्ट ने इस टास्क फोर्स को चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, उनके कार्यस्थल की स्थितियों में सुधार और हिंसा रोकने के उपाय सुझाने का निर्देश दिया है। इस टास्क फोर्स की अध्यक्षता सर्जन वाइस एडमिरल आर सरीन करेंगे और इसमें देश के कुछ प्रमुख डॉक्टर और विशेषज्ञ शामिल होंगे।


कोर्ट का कड़ा रुख

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि देश में चिकित्सा कर्मियों के लिए मौजूदा सुरक्षा मानक पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य स्टाफ के लिए बुनियादी सुरक्षा का अभाव है। कोर्ट ने कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों के आराम करने की जगहों की कमी, स्वच्छता की समस्याएं, और सुरक्षा के अभाव जैसे मुद्दों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।


टास्क फोर्स के कार्य

इस नेशनल टास्क फोर्स का मुख्य कार्य देशभर में अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा उपायों की सिफारिशें तैयार करना होगा। यह टास्क फोर्स सभी अस्पतालों में सुरक्षा कर्मियों की संख्या, प्रवेश पर सामान की जांच, और CCTV की उपस्थिति जैसे मुद्दों पर रिपोर्ट तैयार करेगी। इसके अलावा, यह टास्क फोर्स अस्पतालों में भीड़ नियंत्रण, डॉक्टरों और नर्सों के लिए विश्राम कक्ष, और आपातकालीन सेवाओं के लिए हेल्पलाइन नंबर जैसे उपायों पर भी सिफारिशें देगी।


राज्यों और केंद्र से रिपोर्ट की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र सरकार से अस्पतालों में सुरक्षा उपायों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपने स्वास्थ्य विभागों के माध्यम से अस्पतालों में सुरक्षा के बारे में जानकारी एकत्र करें। यह जानकारी एक महीने के भीतर टेबलाइज करके कोर्ट में प्रस्तुत की जाएगी।


महिलाओं के लिए विशेष सुरक्षा

सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से महिला डॉक्टरों की सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पितृसत्तात्मक पूर्वाग्रहों के कारण महिला डॉक्टरों को अधिक हिंसा का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि देश में महिलाओं की बढ़ती संख्या के साथ ही कार्यस्थल पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यावश्यक हो गया है।


बदलाव के लिए और इंतजार नहीं

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि देश को बदलाव के लिए एक और रेप का इंतजार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चिकित्सा पेशे में हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं और यह एक गंभीर समस्या है। कोर्ट ने कहा कि यह टास्क फोर्स सभी मुद्दों पर विचार करेगी और देशभर में लागू किए जाने वाले सुरक्षा उपायों की सिफारिशें प्रस्तुत करेगी।


तीन हफ्तों में अंतरिम रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने NTF को तीन हफ्तों के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, टास्क फोर्स को दो महीने के भीतर अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। इस रिपोर्ट के आधार पर देशभर के अस्पतालों में सुरक्षा उपायों को लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।


निष्कर्ष:

इस महत्वपूर्ण कदम के जरिए सुप्रीम कोर्ट ने देश में चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। नेशनल टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर आने वाले समय में अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा के ठोस उपाय किए जाएंगे। 

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