सारांश : इसरो ने अपने एसएसएलवी-डी3 मिशन के तहत ईओएस-08 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। इस सैटेलाइट के माध्यम से भारत ने छोटे सैटेलाइट के वैश्विक बाजार में कदम रखा है। ईओएस-08 सैटेलाइट बाढ़, ज्वालामुखी, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं की सटीक जानकारी देने में सक्षम होगा और अंतरिक्ष में भारत की क्षमताओं को और मजबूत करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए श्रीहरिकोटा से ईओएस-08 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। इसरो ने यह लॉन्च अपने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी-डी3) की तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान के माध्यम से किया। इस सफलता के साथ, भारत ने छोटे सैटेलाइटों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान को और मजबूत किया है। इस लॉन्च के साथ ही भारतीय इंडस्ट्री और न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) को छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए एक नया अवसर मिला है।
ईओएस-08 सैटेलाइट, जिसे माइक्रोसैट/आईएमएस-1 बेस पर विकसित किया गया है, एक अर्थ ऑब्जर्विंग सिस्टम (ईओएस) मिशन है। इस सैटेलाइट का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी की सतह, जीवमंडल, ठोस पृथ्वी, वायुमंडल, और महासागरों की निगरानी करना है। इस प्रणाली की मदद से बाढ़, ज्वालामुखी, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का समय रहते पता लगाया जा सकेगा, जिससे इन आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा। ईओएस-08 का मिशन जीवन काल लगभग एक वर्ष का है, और यह सैटेलाइट 175.5 किलोग्राम वजन के साथ लगभग 420 वाट बिजली उत्पन्न करने में सक्षम है।
इस उपग्रह में तीन मुख्य पेलोड शामिल हैं। पहला पेलोड इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इन्फ्रारेड (EOIR) पेलोड है, जो दिन और रात दोनों समय मिड-वेव इन्फ्रारेड (MIR) और लॉन्ग-वेव इन्फ्रारेड (LWIR) स्पेक्ट्रम में तस्वीरें कैप्चर करने में सक्षम है। यह क्षमता आपदाओं की पहचान, पर्यावरण निगरानी, और औद्योगिक आपदाओं का पता लगाने में उपयोगी साबित होगी।
दूसरा पेलोड ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री (GNSS-R) है, जो समुद्र की सतह की हवाओं की जांच, मिट्टी की नमी का आकलन, हिमालयी क्षेत्र में क्रायोस्फीयर का अध्ययन और बाढ़ व जल स्रोतों का पता लगाने में सहायक होगा।
तीसरा पेलोड सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) UV डोसिमीटर है, जो गगनयान मिशन के क्रू मॉड्यूल के लिए पराबैंगनी विकिरण की निगरानी करेगा। यह उच्च गामा विकिरण स्तर पर अलार्म सेंसर के रूप में भी काम करेगा, जिससे अंतरिक्ष मिशनों की सुरक्षा में इजाफा होगा।
ईओएस-08 सैटेलाइट इसरो के मेनफ्रेम सिस्टम में एक महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति का प्रतीक है। यह एकीकृत एवियोनिक्स सिस्टम के साथ अंतरिक्ष में उच्च गुणवत्ता वाली निगरानी और आपदा प्रबंधन में सहायता करेगा। इस सैटेलाइट के माध्यम से भारत न केवल अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ा रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छोटे उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में अपनी धाक भी जमा रहा है।
इस लॉन्च के साथ ही भारत ने छोटे सैटेलाइट प्रक्षेपण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जिससे भारतीय उद्योग और वैज्ञानिक समुदाय को वैश्विक बाजार में नई संभावनाएं मिलेंगी। यह सफलता देश के लिए गर्व की बात है और भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक और कदम है।
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