सारांश : पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का अभियान बिना गोल्ड मेडल के ही समाप्त हो गया। इस बार भारत ने 1 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज मेडल जीतकर कुल 6 मेडल हासिल किए, जो कि पिछले टोक्यो ओलंपिक से भी कम हैं। इस गिरावट के चलते भारत की रैंकिंग 71वें स्थान पर खिसक गई। हालांकि, एक अपील लंबित है जिससे मेडल टैली में सुधार की संभावना बनी हुई है।
पेरिस ओलंपिक 2024 का समापन भारत के लिए निराशाजनक रहा, क्योंकि इस बार भारतीय दल गोल्ड मेडल हासिल करने में विफल रहा। कुल 6 मेडल्स के साथ भारत का ओलंपिक सफर समाप्त हो गया, जिसमें 1 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। यह प्रदर्शन टोक्यो ओलंपिक 2020 की तुलना में कमतर रहा, जहाँ भारत ने 1 गोल्ड, 2 सिल्वर, और 4 ब्रॉन्ज मेडल्स हासिल किए थे।
भारत के लिए पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल की कमी ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। टोक्यो ओलंपिक के गोल्ड मेडल विजेता नीरज चोपड़ा इस बार सिल्वर मेडल से ही संतुष्ट रहे। शूटिंग में भारत ने 3 ब्रॉन्ज मेडल जीते, जबकि हॉकी और कुश्ती में एक-एक ब्रॉन्ज मेडल हासिल हुआ। इसके बावजूद भारत की ओलंपिक रैंकिंग में गिरावट आई और टीम 71वें स्थान पर खिसक गई।
रेसलर रीतिका हुड्डा से सातवें मेडल की उम्मीदें थी, लेकिन 76 किलो वर्ग में उनकी हार के साथ वह भी टूट गईं। अगर रीतिका को हराने वाली किर्गिस्तान की पहलवान फाइनल में पहुंच जातीं, तो भारतीय रेसलर को रेपचेज राउंड में मौका मिल सकता था। लेकिन किर्गिस्तान की पहलवान सेमीफाइनल में हार गईं, जिससे रीतिका का मेडल राउंड में जगह बनाने का सपना टूट गया।
भारत के ओलंपिक प्रदर्शन में इस बार की गिरावट का मुख्य कारण गोल्ड मेडल का ना जीत पाना रहा। पिछले ओलंपिक के मुकाबले इस बार कम मेडल्स की वजह से भारत की रैंकिंग में भारी गिरावट आई है। 11 अगस्त को कुछ और मेडल इवेंट्स होने हैं, लेकिन उनमें भारत की कोई हिस्सेदारी नहीं होगी, जिससे रैंकिंग में सुधार की संभावना नहीं है। यह गिरावट भारतीय खेलों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है और भविष्य की तैयारीयों के लिए एक बड़ा सबक है।
हालांकि, अब भी एक उम्मीद बाकी है। भारतीय रेसलर विनेश फोगाट ने एक कैस दायर किया है, जिसमें उन्होंने सिल्वर मेडल दिए जाने की अपील की है। अगर यह अपील सफल होती है, तो विनेश फोगाट सिल्वर मेडल जीतने वाली देश की पहली महिला रेसलर बन जाएंगी। इससे भारत की मेडल संख्या 7 हो जाएगी और रैंकिंग में भी सुधार होगा, जिससे भारत 68वें स्थान पर पहुंच सकता है। यह निर्णय भारत के ओलंपिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
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