सारांश : लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल 2024 पेश किया गया, जिसे अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रस्तुत किया। विपक्ष ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे धार्मिक आस्थाओं पर हमला बताया और आरोप लगाया कि इसे बिना उचित चर्चा के पेश किया गया है। इस लेख में इस बिल की प्रमुख बातें और विपक्ष की प्रतिक्रियाओं पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी।

Parliament में हंगामे के बीच Lok Sabha में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पेश: विपक्ष का विरोध

लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पेश: संसद में हंगामे और विपक्ष का विरोध


संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल 2024 पेश किया गया। इस बिल को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रस्तुत किया। जैसे ही यह बिल लोकसभा में आया, विपक्षी दलों ने इसे लेकर हंगामा शुरू कर दिया। इस संशोधन के उद्देश्य और इसके विरोध पर व्यापक चर्चा की गई है, जिससे संसद की कार्यवाही प्रभावित हुई।


वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का उद्देश्य


केंद्र सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पेश करने से पहले स्पष्ट किया था कि इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का सुचारू रूप से संचालन और उनकी देखरेख करना है। वक्फ बोर्ड अधिनियम 1954 में संशोधन के लिए पेश किया जा रहा यह बिल, वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस बिल के तहत वक्फ संपत्तियों की जानकारी को अद्यतित और नियमित करने के लिए नए प्रावधान किए गए हैं।


विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं


वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के पेश होते ही विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया। कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस बिल के माध्यम से धार्मिक आस्थाओं पर हमला कर रही है। उनका कहना है कि इस बिल को पेश करने से पहले विपक्षी दलों से कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया और बिल की सामग्री को ठीक से पढ़ने का अवसर भी नहीं दिया गया।


एनसीपी (एसपी) की नेता सुप्रिया सुले ने भी इस बिल की आलोचना की और इसे वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस बिल की प्रस्तुति से पहले विपक्ष के साथ संवाद नहीं किया गया, जिससे इस पर व्यापक चर्चा और सहमति की कमी का संकेत मिलता है। उनका मानना है कि इस बिल की प्रक्रिया लोकतांत्रिक मानकों के खिलाफ है और इसे पारित करने से पहले सभी पक्षों की राय ली जानी चाहिए थी।


वक्फ बोर्ड संशोधन बिल की प्रमुख बातें


वक्फ संपत्तियों की नियमितता: इस बिल के तहत मौजूदा वक्फ संपत्तियों को नियमित करने का प्रावधान है। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की पहचान, उपयोग और प्रबंधन को अधिक पारदर्शी बनाना है। सभी वक्फ संपत्तियों की सीमा, पहचान और उनके उपयोग की जानकारी को सही ढंग से दर्ज करने की आवश्यकता होगी।


डेटाबेस और पोर्टल पर जानकारी: नए कानून के लागू होने के छह महीने के भीतर, वक्फ संपत्तियों की पूरी जानकारी एक पोर्टल और डेटाबेस पर दर्ज करनी होगी। इसमें संपत्तियों की सीमा, पहचान, उपयोग और उनके उपयोगकर्ताओं की जानकारी शामिल होगी। यह पहल वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता को बढ़ाने के उद्देश्य से है।


वक्फ बनाने वाले की जानकारी: बिल में वक्फ बनाने वाले का नाम, पता, निर्माण का तरीका और तारीख की जानकारी भी शामिल की जाएगी। इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की प्रक्रिया को अधिक स्पष्ट और सुगम बनाया जा सकेगा।


मुतवल्ली और आमदनी की जानकारी: वक्फ की देखरेख और प्रबंधन करने वाले मुतवल्ली की जानकारी भी इस बिल के तहत दर्ज की जाएगी। इसके अलावा, वक्फ संपत्तियों से होने वाली सालाना आमदनी की जानकारी भी प्रदान की जाएगी, जिससे संपत्तियों के वित्तीय स्वास्थ्य की निगरानी की जा सकेगी।


निष्कर्ष


लोकसभा में पेश किया गया वक्फ बोर्ड संशोधन बिल 2024 ने संसद में हंगामे और विपक्षी विरोध को जन्म दिया है। सरकार का कहना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए है, जबकि विपक्ष इसे धार्मिक आस्थाओं पर हमला मानता है। इस पर चल रहे विवाद यह दर्शाते हैं कि इस बिल पर गहन चर्चा और सभी पक्षों के बीच सहमति की आवश्यकता है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए विधायिका में संवाद और समझौते की आवश्यकता बनी हुई है।

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