सारांश : सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के विरोध में देशभर में दलित और आदिवासी संगठनों द्वारा भारत बंद का आयोजन किया गया। बिहार में इस बंद का सबसे अधिक असर देखा गया, जहां ट्रेनें और हाईवे जाम कर दिए गए। राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी बंद के चलते स्कूल बंद रहे, जबकि पंजाब में बंद का व्यापक विरोध देखा गया। राजनीतिक दलों ने भी इस बंद का समर्थन किया, जिससे बंद का असर व्यापक और गहरा रहा।

SC-ST Reservation में Creamy layer के खिलाफ भारत बंद: देशभर में विरोध प्रदर्शन, Bihar में ट्रेन और हाईवे जाम, Rajasthan और MP में School बंद


आज के भारत बंद ने देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्य जीवन को बाधित कर दिया, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के खिलाफ दलित और आदिवासी संगठनों ने 14 घंटे के बंद का आह्वान किया। इस बंद का सबसे बड़ा असर बिहार में देखा गया, जहां प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनें रोक दीं और प्रमुख हाईवे जाम कर दिए। इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य कोर्ट के फैसले को वापस लेने की मांग करना था, जिसे दलित और आदिवासी संगठनों ने उनके संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया।


बिहार में भारत बंद का व्यापक असर:

बिहार में भारत बंद का सबसे ज्यादा असर देखा गया। आरा, दरभंगा, जहानाबाद, सहरसा, और पूर्णिया जैसे शहरों में प्रदर्शनकारियों ने रेल पटरियों पर धरना दिया और हाईवे जाम कर दिए, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया। पटना में प्रदर्शनकारियों ने आगजनी और तोड़फोड़ की, जिससे शहर में तनाव का माहौल बना रहा। पुलिस ने डाकबंगला चौराहे पर प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए वाटर केनन का इस्तेमाल किया और बाद में लाठीचार्ज भी किया।


राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी बंद का असर:

राजस्थान में भी बंद का व्यापक असर देखा गया, जहां जयपुर समेत 16 जिलों में स्कूल बंद रहे। सवाई माधोपुर में प्रदर्शनकारियों ने डंडे लहराते हुए नारेबाजी की, जबकि भरतपुर में अनहोनी की आशंका के चलते इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। अलवर और अजमेर में भी रोडवेज बसों की आवाजाही रोक दी गई। मध्य प्रदेश के उज्जैन में बंद के दौरान दुकानदारों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई। ग्वालियर में एहतियातन स्कूल बंद कर दिए गए, जबकि अन्य जिलों में भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई।


उत्तर प्रदेश में पुलिस का कड़ा पहरा:

उत्तर प्रदेश में बंद के दौरान आगरा में प्रदर्शनकारियों ने रैली निकालकर नारेबाजी की, जबकि मुरादाबाद, मेरठ, कासगंज, एटा, और बरेली में पुलिस ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए। गाजियाबाद और नोएडा में हालांकि बंद का कोई खास असर नहीं देखा गया। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति द्वारा SC-ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बुलाए गए इस बंद को लेकर राज्य में मिली-जुली प्रतिक्रिया रही।


पंजाब में बंद का विरोध:

पंजाब में बंद का असर अपेक्षाकृत कम रहा। फाजिल्का जैसे शहरों में बाजार और स्कूल सामान्य रूप से खुले रहे। यहां बंद का समर्थन और विरोध दोनों ही पक्षों से देखने को मिला, जिससे कुछ स्थानों पर तनाव की स्थिति बनी रही। सरकार ने सुरक्षा के मद्देनजर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया था।


झारखंड में भी प्रदर्शन का व्यापक असर:

झारखंड की राजधानी रांची में भारत बंद का व्यापक असर देखा गया। प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में सड़कों पर टायर जलाए और बैनर लेकर नारेबाजी की। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के कार्यकर्ता भी सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।


राजनीतिक दलों का समर्थन:

इस भारत बंद को विभिन्न राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिला। बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा), भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी (काशीराम), और भारत आदिवासी पार्टी जैसी पार्टियों ने बंद का समर्थन किया। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के साथ झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी इस बंद को समर्थन दिया। कांग्रेस ने भी इस बंद का पुरजोर समर्थन किया, जिससे इसका प्रभाव और भी व्यापक हो गया।


समाज और राजनीति पर असर:

भारत बंद के इस आयोजन ने न केवल समाज में अस्थिरता पैदा की बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी हलचल मचाई। विभिन्न संगठनों और दलों के समर्थन से यह बंद सफल रहा, लेकिन इसका देश की अर्थव्यवस्था और सामान्य जनजीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। कोर्ट के फैसले के खिलाफ इस तरह का विरोध यह संकेत देता है कि आरक्षण के मुद्दे पर समाज के विभिन्न वर्गों में अब भी गंभीर मतभेद हैं।

Post a Comment

أحدث أقدم