संक्षेप : सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के प्रमुख बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को राहत देते हुए उनके खिलाफ चल रहे मानहानि के केस को समाप्त कर दिया है। यह मामला पतंजलि के उत्पादों को लेकर दिए गए भ्रामक विज्ञापनों से जुड़ा था, जिसमें बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा माफी मांगे जाने पर अदालत ने मामले को बंद कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को 'भ्रामक विज्ञापन' के मामले में बड़ी राहत दी है। पतंजलि आयुर्वेद के इन दोनों प्रमुखों के खिलाफ चल रहे मानहानि के केस को सर्वोच्च अदालत ने समाप्त कर दिया है। यह मामला इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा दायर किया गया था, जिसमें पतंजलि पर कोविड-19 के इलाज के लिए भ्रामक विज्ञापन देने का आरोप लगाया गया था।
IMA ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि पतंजलि आयुर्वेद ने कोविड-19 के इलाज के लिए अपने उत्पादों कोरोनिल और स्वसारी को प्रमोट करते हुए भ्रामक विज्ञापन दिए, जिनके दावों की कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं थी। IMA का यह भी कहना था कि इन विज्ञापनों से एलोपैथिक दवाओं की उपेक्षा हो रही थी, जिससे जनता के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता था।
IMA ने पतंजलि के खिलाफ कोर्ट में दावा किया कि इन भ्रामक विज्ञापनों के चलते ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का उल्लंघन हो रहा था। इस मामले की सुनवाई के दौरान, आयुष मंत्रालय ने भी पतंजलि को इन उत्पादों के प्रचार पर रोक लगाने का आदेश दिया था। मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि इस तरह के दावे करने से पहले उत्पादों की प्रभावकारिता के बारे में पूरी तरह से वैज्ञानिक प्रमाण होना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए पतंजलि को सख्त चेतावनी दी थी कि वे अपने भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत बंद करें। अदालत ने इस बात पर नाराजगी जताई कि जब मामला अदालत में विचाराधीन था, तब भी पतंजलि ने अपने विज्ञापनों का प्रसारण जारी रखा। अदालत ने यह भी कहा कि देश की सेवा करने का बहाना बनाना उचित नहीं है, और कानून के प्रति सम्मान दिखाना अनिवार्य है।
बाबा रामदेव के वकील ने अदालत के समक्ष माफी मांगते हुए कहा कि भविष्य में इस तरह की गलती नहीं दोहराई जाएगी। रामदेव ने भी व्यक्तिगत रूप से माफी मांगी और कहा कि वह इस आचरण के लिए शर्मिंदा हैं और अदालत के आदेश का पूरा सम्मान करते हैं।
अंततः, सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद द्वारा प्रस्तुत माफीनामा को स्वीकार करते हुए इस मानहानि के मामले को समाप्त कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि देश की सभी अदालतों का सम्मान किया जाना चाहिए, और किसी भी संस्था या व्यक्ति को इसका उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
यह फैसला केवल पतंजलि और उसके प्रमुखों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी संस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि न्यायपालिका के आदेशों का पालन अनिवार्य है। इस निर्णय के बाद, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को इस मामले में राहत मिली है, और यह मामला भारतीय न्यायपालिका की शक्ति और प्रभाव का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है।
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