सारांश: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा 2024 की तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया, जिसमें 1.14 करोड़ से अधिक मामलों का निपटारा हुआ। समझौता योग्य अपराधों से लेकर ट्रैफिक चालान, बैंक वसूली और वैवाहिक विवादों तक विभिन्न मामलों का समाधान किया गया। इस लोक अदालत ने न्यायिक प्रक्रिया को सरल और तेज करने में मदद की है, जिससे समाज के वंचित वर्गों को न्याय की पहुंच सुनिश्चित हो रही है।
भारत में न्यायिक प्रक्रिया को तेज और सरल बनाने के लिए लोक अदालतें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इसी कड़ी में, 2024 की तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के तालुकों, जिलों और उच्च न्यायालयों में किया गया। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) ने इस लोक अदालत का सफलतापूर्वक आयोजन कर, न्यायिक प्रणाली पर बोझ कम करने का प्रयास किया। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज और NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस संजीव खन्ना के नेतृत्व में इस अदालत में कुल 1,14,56,529 मामलों का निपटारा किया गया।
न्यायिक प्रक्रिया का तेज और सौहार्दपूर्ण समाधान:
इस लोक अदालत में निपटाए गए मामलों में समझौता योग्य अपराध, ट्रैफिक चालान, राजस्व मामले, बैंक वसूली मामले, मोटर दुर्घटना दावे, चेक अनादर मामले, श्रम विवाद, वैवाहिक विवाद (तलाक मामलों को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण, उपभोक्ता मामले, और अन्य सिविल मामले शामिल थे। इन मामलों के समाधान से लोगों को जल्दी और बिना लंबी न्यायिक प्रक्रिया से गुजरे न्याय प्राप्त हुआ। निपटाए गए मामलों की कुल निपटान राशि का अनुमानित मूल्य 8482.08 करोड़ रुपये था, जो इस लोक अदालत की प्रभावशीलता को दर्शाता है।
लोक अदालतों की बढ़ती भूमिका:
लोक अदालतें न केवल न्यायिक प्रक्रिया को सरल और तेज करती हैं, बल्कि यह पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समाधान भी प्रदान करती हैं। NALSA के सदस्य सचिव संतोष स्नेही मान के अनुसार, लोक अदालतें औपचारिक न्यायिक प्रणाली के दायरे से बाहर जाकर विवादों का समाधान करने में सहायक होती हैं, जो न्याय तक पहुंच को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाती हैं, विशेष रूप से समाज के वंचित और हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए।
गणेश चतुर्थी और ओणम के बाद शेष राज्यों में लोक अदालत:
हालांकि, कुछ राज्यों में गणेश चतुर्थी और ओणम त्योहारों के कारण तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन अभी शेष है। ये अदालतें त्योहारों के बाद आयोजित की जाएंगी, जिससे और अधिक मामलों का समाधान किया जा सकेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, निपटाए गए मामलों की संख्या में और वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि कुछ राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरणों से रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र की सफलता:
NALSA, अपनी पहल के माध्यम से, न्याय की पहुंच को बढ़ावा देने और औपचारिक न्यायिक प्रणाली पर बोझ कम करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। लोक अदालतें वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र का एक सफल उदाहरण हैं, जिससे न केवल न्यायिक प्रणाली को राहत मिलती है, बल्कि यह समाज के कमजोर वर्गों के लिए भी न्याय सुनिश्चित करती हैं।
लोक अदालतों में निपटाए गए मामलों की बड़ी संख्या और त्वरित निपटान प्रक्रिया से यह साफ है कि लोग इन अदालतों में अपने विवादों का समाधान करने में विश्वास दिखा रहे हैं। यह प्रणाली उन लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है, जो लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से बचना चाहते हैं और तेजी से अपने विवादों का समाधान चाहते हैं।
न्याय की पहुंच सभी के लिए:
NALSA का मुख्य उद्देश्य देश के हर नागरिक तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करना है। इसके तहत, लोक अदालतों के माध्यम से न केवल न्याय प्रक्रिया को सरल किया जा रहा है, बल्कि समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को भी न्याय तक पहुंचने में मदद की जा रही है। इस पहल से समाज के सभी वर्गों में न्याय तक समान पहुंच को सुनिश्चित किया जा रहा है।
NALSA का भविष्य में लक्ष्य:
NALSA देश भर में और अधिक लोक अदालतों का आयोजन करने और वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह संस्था न केवल विवादों का त्वरित समाधान करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, बल्कि लोगों के अधिकारों और न्याय तक उनकी पहुंच को भी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। भविष्य में, NALSA का उद्देश्य लोक अदालतों के माध्यम से न्याय तक और अधिक लोगों की पहुंच को सुनिश्चित करना है, जिससे देश की न्यायिक प्रणाली और भी अधिक प्रभावी हो सके।
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