सारांश : प्रसिद्ध अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए 8 अक्टूबर 2024 को 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में दिया जाएगा। मिथुन की अभिनय, एक्शन और डांस की कला ने भारतीय सिनेमा को एक नया आयाम दिया है। उनके इस सम्मान से प्रशंसक बेहद गर्वित हैं।

Mithun Chakraborty को मिलेगा Dadasaheb Phalke Award : भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए मिलेगा सर्वोच्च सम्मान


भारतीय सिनेमा में मिथुन चक्रवर्ती का नाम एक ऐसे अभिनेता के रूप में दर्ज है जिन्होंने अपने अभिनय, डांस और एक्शन से फिल्म इंडस्ट्री को एक नई दिशा दी। अब उनकी इस महान यात्रा को एक और सम्मान मिलने जा रहा है, वह भी सिनेमा के सबसे बड़े पुरस्कार दादा साहब फाल्के से। यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा में उनके दशकों से चले आ रहे योगदान और उनके अनमोल योगदान को मान्यता देने के लिए दिया जा रहा है।


केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बड़ी घोषणा को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया। उन्होंने कहा, "दादा साहब फाल्के चयन जूरी ने मिथुन चक्रवर्ती को भारतीय सिनेमा में उनके अतुलनीय योगदान के लिए यह पुरस्कार देने का फैसला किया है। 8 अक्टूबर 2024 को 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में उन्हें यह सम्मान प्रदान किया जाएगा।" यह खबर सुनते ही मिथुन के प्रशंसकों में खुशी की लहर दौड़ गई है, और फिल्म जगत में उनके इस सम्मान की चर्चा जोरों पर है।


मिथुन चक्रवर्ती का सिनेमाई सफर:


मिथुन चक्रवर्ती का सफर सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने अपने अद्वितीय डांस और एक्शन से भी लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनकी पहली फिल्म 'दो अंजाने' में उनका रोल भले ही छोटा था, लेकिन इसके बाद उनका करियर तेजी से उभरा। 'डिस्को डांसर' ने उन्हें बॉलीवुड का डांसिंग स्टार बना दिया। यह फिल्म उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट साबित हुई। इस फिल्म में उनके डिस्को डांस ने उन्हें ना सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी पहचान दिलाई।


मिथुन की प्रमुख फिल्मों में 'अग्निपथ', 'हम पांच', 'ताशकंद फाइल्स', 'गोलमाल 3' जैसी फिल्में शामिल हैं। इन फिल्मों में उनके किरदारों ने दर्शकों को न केवल मनोरंजन प्रदान किया, बल्कि एक नया दृष्टिकोण भी दिया। मिथुन की अभिनय शैली उनके व्यक्तित्व की गहराई को प्रदर्शित करती है और उनके किरदारों में उनकी गंभीरता और समर्पण साफ झलकता है।


भाषाओं में विविधता:


मिथुन चक्रवर्ती ने सिर्फ हिंदी सिनेमा तक खुद को सीमित नहीं रखा। उन्होंने बंगाली, ओड़िया, भोजपुरी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, पंजाबी जैसी विभिन्न भाषाओं की फिल्मों में भी काम किया। उनकी यह बहुभाषी यात्रा दर्शाती है कि वह केवल एक अभिनेता नहीं हैं, बल्कि एक ऐसा कलाकार हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा की विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं को एकजुट किया है। उनका यह योगदान सिनेमा के प्रति उनके अटूट समर्पण को दर्शाता है।


उनकी बंगाली फिल्मों ने उन्हें एक और पहचान दिलाई, जहां उन्होंने अपने अभिनय कौशल का बेहतरीन प्रदर्शन किया। यह दर्शाता है कि मिथुन सिर्फ हिंदी सिनेमा के नहीं, बल्कि पूरे भारतीय सिनेमा के महानायक हैं।


एक्शन और मार्शल आर्ट्स में महारत:


मिथुन चक्रवर्ती ने अपने करियर में एक्शन फिल्मों में भी अपना जादू चलाया। उनकी एक्शन फिल्में दर्शकों के बीच खास लोकप्रिय थीं, और इसका एक बड़ा कारण उनका मार्शल आर्ट्स में माहिर होना था। मिथुन ने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली है और ब्लैक बेल्ट भी हासिल की है। उनके इस कौशल ने उन्हें 80 और 90 के दशक के एक्शन हीरो के रूप में स्थापित किया।


उनकी फिल्में एक्शन और थ्रिलर से भरी हुई होती थीं, और उनके एक्शन दृश्यों में उनकी मार्शल आर्ट्स की दक्षता साफ झलकती थी। यह एक कारण था कि मिथुन के फैंस न सिर्फ उनकी एक्टिंग बल्कि उनके एक्शन सीन के भी दीवाने थे।


डांस का क्रांतिकारी योगदान:


मिथुन चक्रवर्ती का डांसिंग स्टाइल भी उनके करियर का एक अहम हिस्सा रहा है। 80 और 90 के दशक में मिथुन ने डांसिंग के क्षेत्र में क्रांति ला दी थी। उनकी फिल्में डांस की वजह से भी हिट होती थीं। 'डिस्को डांसर' के डांस मूव्स ने उन्हें एक डांसिंग आइकन बना दिया था, और आज भी उनके डांस की यादें दर्शकों के दिलों में ताजा हैं।


मिथुन का डांस न केवल मनोरंजन था, बल्कि यह सिनेमा में डांस की पहचान बदलने वाला साबित हुआ। उनके स्टाइल और एनर्जी ने एक पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया और उन्हें अपने डांस मूव्स से प्रेरित किया।


दादा साहब फाल्के पुरस्कार का महत्त्व:


दादा साहब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित सम्मान है, जिसे केवल उन कलाकारों को दिया जाता है जिन्होंने सिनेमा के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान दिया हो। मिथुन चक्रवर्ती को यह पुरस्कार मिलना भारतीय सिनेमा के प्रति उनकी वर्षों की सेवा और समर्पण का सम्मान है। यह पुरस्कार न केवल उनके करियर की एक और उपलब्धि है, बल्कि यह भी साबित करता है कि उन्होंने भारतीय सिनेमा को कैसे समृद्ध किया है।


निष्कर्ष:


मिथुन चक्रवर्ती का नाम सिनेमा जगत में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उनकी सिनेमाई यात्रा संघर्ष, मेहनत और अटूट विश्वास का उदाहरण है। उन्होंने अपने अभिनय, एक्शन और डांस से सिनेमा को एक नई दिशा दी है, और आज उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाना उनके करियर का सबसे बड़ा मुकाम है। इस सम्मान से न केवल मिथुन के प्रशंसक, बल्कि पूरा भारतीय सिनेमा गर्वित है। मिथुन की यह सफलता हर कलाकार के लिए एक प्रेरणा है, और यह साबित करती है कि समर्पण और मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

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