सारांश : मुंबई यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव में युवा सेना ने शानदार जीत दर्ज की, सभी 10 सीटों पर कब्जा जमाते हुए आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में अपनी पकड़ और मज़बूत की। इस जीत को आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लंबे कानूनी विवाद और दो बार चुनाव रद्द होने के बाद यह परिणाम सामने आया है, जिससे युवा सेना की लोकप्रियता और ताकत का स्पष्ट संकेत मिलता है।

Mumbai University Senate Election में Yuva Sena का दबदबा, Aaditya Thackeray का करिश्मा बरकरार


युवा सेना की धमाकेदार जीत

मुंबई यूनिवर्सिटी के सीनेट चुनावों के परिणाम ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई चर्चा छेड़ दी है। खासकर इस जीत को आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है, जहां आदित्य ठाकरे और उनकी युवा सेना ने सभी 10 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की है। 2018 के चुनावों में भी युवा सेना ने सभी सीटों पर विजय प्राप्त की थी, लेकिन इस बार की जीत को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। चुनाव दो बार रद्द हो चुके थे, लेकिन 24 सितंबर को आखिरकार चुनाव सम्पन्न हुए और 29 सितंबर को नतीजे घोषित किए गए।


चुनावों में कठिनाई और कानूनी विवाद

इस बार के सीनेट चुनावों के आयोजन में कई अड़चनें आईं। चुनाव पहले दो बार रद्द हो चुके थे और इसे लेकर राजनीतिक और कानूनी विवाद भी चले। अगस्त 2023 से शुरू हुए विवादों के बाद, 24 सितंबर को चुनाव आयोजित किए गए। वोटों की गिनती 29 सितंबर को मुंबई यूनिवर्सिटी के फोर्ट परिसर में की गई। इस दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी चुनाव की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार किया और मतगणना की अनुमति दी। यह चुनाव न केवल विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए, बल्कि राज्य की राजनीति के लिए भी एक अहम संकेतक साबित हुआ।


55 प्रतिशत मतदान और 7200 वोट

सीनेट चुनावों में इस बार कुल 55 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें 7200 वोट डाले गए। इसमें से 6684 वोट सही पाए गए। हर उम्मीदवार को ओपन श्रेणी में जीतने के लिए कम से कम 1114 वोटों की जरूरत थी। युवा सेना के समर्थकों ने अपनी जीत के बाद मुंबई यूनिवर्सिटी के फोर्ट परिसर में जश्न मनाया और मिठाइयाँ बांटी। यह जीत पार्टी के लिए केवल विश्वविद्यालय स्तर पर ही नहीं, बल्कि विधानसभा चुनावों के संदर्भ में भी एक मजबूत संकेत है।


युवा सेना का हर वर्ग में दबदबा

इस बार के चुनावों में युवा सेना ने हर वर्ग में अपना दबदबा कायम रखा। ओबीसी वर्ग से मयूर पांचाल ने 5350 वोटों के साथ जीत हासिल की। महिला वर्ग में स्नेहा गवली ने 5914 वोट पाकर एबीवीपी की रेणुका ठाकुर को हराया। एससी वर्ग से शीतल शेठ देवरुखकर ने 5489 वोटों से जीत दर्ज की, जबकि एसटी वर्ग से धनराज कोचड़े ने 5247 वोट पाकर जीत हासिल की। अन्य ओपन और एनटी वर्ग में शशिकांत झोर, प्रदीप सावंत, मिलिंद साथम, और परम यादव ने युवा सेना की जीत की लहर को जारी रखा।


विधानसभा चुनावों की तैयारी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले इस जीत को आदित्य ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) के लिए एक मजबूत समर्थन के रूप में देखा जा रहा है। यह चुनाव न केवल विश्वविद्यालय के संदर्भ में था, बल्कि राज्य की राजनीति में एक नई ऊर्जा का संचार करता है। युवा सेना की यह जीत दिखाती है कि वे भविष्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में युवा सेना का यह प्रदर्शन आने वाले चुनावों में उनकी पार्टी की स्थिति को और मज़बूत कर सकता है।


सीनेट चुनावों की अहमियत

मुंबई यूनिवर्सिटी का सीनेट चुनाव राज्य की राजनीति में अहम भूमिका निभाता है क्योंकि यह चुनाव छात्रों और युवाओं के बीच राजनीतिक दलों की पकड़ का एक संकेतक होता है। युवाओं के समर्थन से कोई भी राजनीतिक दल राज्य स्तर पर बड़ी जीत दर्ज कर सकता है। इस चुनाव में मिली बड़ी जीत से युवा सेना ने यह साबित कर दिया है कि वे केवल छात्र राजनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि राज्य की मुख्यधारा की राजनीति में भी उनकी बड़ी भूमिका है।


भविष्य की चुनौतियां

भले ही युवा सेना ने यह चुनाव जीता है, लेकिन विधानसभा चुनावों में चुनौती इससे भी बड़ी होगी। अन्य राजनीतिक दलों की रणनीति भी इस जीत के बाद बदल सकती है, खासकर बीजेपी और एबीवीपी के संदर्भ में। हालांकि, यह साफ है कि युवा सेना और आदित्य ठाकरे अब महाराष्ट्र की राजनीति में एक मजबूत दावेदार बनकर उभरे हैं।


निष्कर्ष

मुंबई यूनिवर्सिटी सीनेट चुनावों में युवा सेना की इस जीत ने राजनीतिक हलचल को तेज कर दिया है। आदित्य ठाकरे का करिश्मा और पार्टी की रणनीति ने उन्हें इस महत्वपूर्ण मोर्चे पर सफलता दिलाई है।

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