सारांश : मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ के चलते भगदड़ मच गई, जिसमें 9 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। दिवाली और छठ के त्योहारों के कारण स्टेशन पर भीड़ बढ़ी हुई थी, और गोरखपुर जाने वाली ट्रेन में चढ़ने की कोशिश में यह हादसा हुआ। घटना के बाद रेलवे सुरक्षा बल ने घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया। विपक्ष ने हादसे के लिए सरकार और रेल मंत्री पर सवाल खड़े किए हैं।
बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भगदड़: त्योहारों की भीड़ बनी हादसे की वजह
मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर सुबह 5:56 बजे एक गंभीर हादसा हुआ। त्योहारों के मौसम में अपने घर लौटने के लिए भारी संख्या में लोग बांद्रा टर्मिनस पहुंचे थे। जैसे ही ट्रेन संख्या 22921, बांद्रा-गोरखपुर अंत्योदय एक्सप्रेस, प्लेटफॉर्म पर पहुंची, यात्री जल्द से जल्द ट्रेन में चढ़ने की कोशिश करने लगे। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि धक्का-मुक्की शुरू हो गई, और भगदड़ मच गई।
त्योहारों के समय मुंबई से उत्तर भारत की ओर जाने वाली ट्रेनों में पहले से ही काफी भीड़ होती है, और दिवाली और छठ के मौके पर स्थिति और गंभीर हो जाती है। इस हादसे के समय भी यही हाल था, जब लोग अनारक्षित ट्रेन में जगह पाने के लिए एक-दूसरे को धक्का देते हुए ट्रेन में चढ़ने की कोशिश कर रहे थे। स्थानीय नगर निगम के एक अधिकारी के अनुसार, ट्रेन के आने के साथ ही यात्री जल्दी ट्रेन पकड़ने के लिए आपाधापी करने लगे, और इस दौरान कुछ लोग प्लेटफॉर्म और ट्रेन के बीच गिर गए।
घायलों की स्थिति चिंताजनक
इस भगदड़ में 9 लोग घायल हुए, जिनमें से 2 की हालत गंभीर बताई जा रही है। घायलों को तुरंत भाभा अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। घायलों की पहचान शब्बीर अब्दुल रहमान (40), परमेश्वर सुखदार गुप्ता (28), रवींद्र हरिहर चुमा (30), रामसेवक रवींद्र प्रसाद प्रजापति (29), संजय तिलकराम कांगय (27), दिव्यांशु योगेंद्र यादव (18), मोहम्मद शरीफ शेख (25), इंद्रजीत साहनी (19) और नूर मोहम्मद शेख (18) के रूप में की गई है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि साहनी और नूर मोहम्मद शेख की हालत बेहद गंभीर है और उनका इलाज किया जा रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह हादसा तब हुआ जब कुछ लोग ट्रेन के कोचों के बीच में आ गए और प्लेटफॉर्म पर गिर पड़े। उन्हें गंभीर चोटें आईं, और मौके पर मौजूद रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और स्थानीय लोगों ने तुरंत घायलों की मदद की।
हादसे के बाद राजनीतिक बयानबाजी
इस हादसे के बाद राजनीतिक हलकों में उबाल आ गया। शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने केंद्र सरकार और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पर तीखा हमला बोला। राउत ने कहा कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के दौरान रेल हादसों की संख्या में वृद्धि हुई है। पिछले कुछ सालों में 25 से अधिक बड़े रेल हादसे हुए हैं, जिनमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हुए हैं।"
राउत ने बुलेट ट्रेन और हाई-स्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट्स पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, "आप बुलेट ट्रेन और मेट्रो जैसी परियोजनाओं पर जोर देते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बांद्रा स्टेशन पर हुए हादसे के लिए रेल मंत्री पूरी तरह से जिम्मेदार हैं।" उन्होंने आगे कहा कि सरकार को यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि केवल नई योजनाओं और परियोजनाओं पर।
त्योहारों के मौसम में सुरक्षा इंतजामों की कमी
त्योहारों के समय में रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की भारी भीड़ को नियंत्रित करना हमेशा से एक चुनौती रहा है। बांद्रा रेलवे स्टेशन पर हुए इस हादसे ने एक बार फिर से रेलवे की तैयारियों और सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दिवाली और छठ जैसे बड़े त्योहारों के समय लोग अपने घर लौटने के लिए बड़ी संख्या में स्टेशन पर आते हैं, लेकिन रेलवे प्रशासन भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठा पाता है।
मुंबई से उत्तर भारत जाने वाली ट्रेनों में त्योहारों के दौरान भारी भीड़ होती है, और इस वजह से अक्सर इस तरह के हादसे होते हैं। रेलवे प्रशासन को इस दिशा में और प्रयास करने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाएं न हों।
रेलवे की जिम्मेदारी और यात्री सुरक्षा
इस हादसे ने एक बार फिर से रेलवे के सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह जरूरी है कि रेलवे प्रशासन त्योहारों के समय अतिरिक्त सावधानी बरते और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। भीड़भाड़ वाली जगहों पर यात्रियों को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल और रेलवे सुरक्षा बल की तैनाती की जानी चाहिए।
इसके अलावा, रेलवे को स्टेशनों पर आधुनिक तकनीक का उपयोग करना चाहिए, जैसे कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए स्वचालित गेट्स और सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ानी चाहिए। इसके साथ ही, अनारक्षित ट्रेनों के लिए अतिरिक्त कोचों की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि यात्रियों को असुविधा का सामना न करना पड़े।
निष्कर्ष
मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे ने यात्री सुरक्षा की अनदेखी को उजागर किया है। त्योहारों के समय यात्रियों की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रेलवे को अपने सुरक्षा इंतजामों को मजबूत करने की आवश्यकता है। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए रेलवे को तत्काल कदम उठाने होंगे, ताकि यात्रियों की जान-माल की सुरक्षा हो सके।
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