सारांश :डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए गृह मंत्रालय ने उच्च स्तरीय कमेटी बनाई है। यह समिति विभिन्न एजेंसियों द्वारा डिजिटल अरेस्ट की जांच का मूल्यांकन करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में भी इस मुद्दे पर जनता को सतर्क रहने की सलाह दी थी।


डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड: सरकार की सख्त निगरानी, गृह मंत्रालय ने बनाई उच्च स्तरीय कमेटी

देश में डिजिटल अरेस्ट से ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने इसपर सख्त रुख अपनाया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जो देश भर में डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी के मामलों की मॉनिटरिंग करेगी और पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए जिम्मेदार होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में इस मुद्दे पर चर्चा की थी और देशवासियों को इस नए प्रकार के फ्रॉड से सचेत रहने का सुझाव दिया था।


गृह मंत्रालय की ओर से बनाई गई इस समिति की अध्यक्षता विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) करेंगे, जो सीधे तौर पर गृह मंत्रालय के उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट करेंगे। इसके अलावा, गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C), जिसे 14सी के नाम से भी जाना जाता है, ने सभी राज्यों की पुलिस को इस समिति के कार्यों और उद्देश्यों की जानकारी दी है। समिति का उद्देश्य डिजिटल अरेस्ट के मामलों में तेजी से जांच करना और अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ना है।


डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी के आंकड़े:

इस साल अब तक 6,000 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं। केंद्रीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने बताया है कि इन मामलों में शामिल 6 लाख से अधिक मोबाइल नंबर ब्लॉक किए गए हैं, जो मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग्स जैसे अपराधों से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा, धोखाधड़ी करने वाले ऐप्स के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए गए हैं, और 709 ऐप्स को ब्लॉक किया गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस धोखाधड़ी में जुड़े करीब 3.25 लाख फर्जी बैंक खातों को भी फ्रीज किया गया है।


प्रधानमंत्री की मन की बात में चेतावनी:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 115वें ‘मन की बात’ एपिसोड में डिजिटल अरेस्ट से बचने का मंत्र दिया – “रुको, सोचो और एक्शन लो।” उन्होंने लोगों को सचेत किया कि डिजिटल लेन-देन के दौरान धोखाधड़ी से कैसे सुरक्षित रहा जा सकता है। जनवरी से अप्रैल 2024 के बीच ही डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी से 120 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला धोखाधड़ी नेटवर्क:

गृह मंत्रालय के अधीन भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के अध्ययन के अनुसार, डिजिटल अरेस्ट के 46 प्रतिशत मामले दक्षिण एशिया के देशों से संचालित हो रहे हैं, जिनमें मुख्य रूप से कंबोडिया, लाओस और म्यांमार शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन देशों से संचालित होने वाले गिरोह भारतीय नागरिकों को निशाना बना रहे हैं और उन्हें करोड़ों रुपये की आर्थिक हानि पहुंचा रहे हैं।


सरकार के कदम और भविष्य की रणनीति:

डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी पर काबू पाने के लिए, सरकार ने नई नीतियां बनाई हैं। गृह मंत्रालय ने राज्यों की पुलिस को इस पर सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही साइबर अपराध समन्वय केंद्र को जिम्मेदारी दी गई है कि वह समय-समय पर मामले की प्रगति की समीक्षा करे और यह सुनिश्चित करे कि जांच सही दिशा में बढ़ रही है। समिति का उद्देश्य अपराधियों को न्याय के दायरे में लाना और साइबर सुरक्षा को और मजबूत करना है।


इस नई पहल से सरकार का उद्देश्य नागरिकों को डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर फ्रॉड से बचाना और डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित बनाना है।

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