सारांश : अयोध्या से चित्रकूट तक, दीपावली के पावन पर्व पर पूरे भारत में उल्लास और श्रद्धा का माहौल है। अयोध्या में राम के स्वागत में दीयों की चमक, दिल्ली में प्रदूषण की चिंता और गोवा में नरकासुर दहन जैसे अनूठे आयोजन इस त्योहार की भव्यता और विविधता को प्रदर्शित करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों को दिवाली की बधाई दी है और मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और भगवान कुबेर की पूजा का आयोजन हो रहा है।
दिवाली, जिसे रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है, हर साल भारत में हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई, और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। इस पर्व के दौरान लोग अपने घरों को दीयों, मोमबत्तियों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाते हैं और परिवार व मित्रों के साथ इस अवसर का आनंद लेते हैं। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, और इसके साथ कई धार्मिक व सांस्कृतिक परंपराएं जुड़ी हुई हैं।
अयोध्या का दीपोत्सव
अयोध्या में दिवाली का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भगवान राम की जन्मभूमि है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, 14 वर्षों का वनवास पूरा कर भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ जब अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में हजारों दीये जलाकर नगर को रोशन कर दिया था। आज भी इस परंपरा को जीवित रखा गया है। इस बार अयोध्या में दीपोत्सव का आयोजन 31 अक्टूबर को किया जाएगा। अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र महाराज के अनुसार, इस दिन अयोध्या में लाखों दीये जलाए जाएंगे, जो अंधकार को चीरते हुए राम के स्वागत की कहानी को जीवंत करेंगे।
दिवाली का पूजन और धार्मिक महत्व
दिवाली के पावन पर्व पर भक्तगण मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर की पूजा करते हैं। यह माना जाता है कि मां लक्ष्मी घर-घर में समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद लेकर आती हैं। भगवान गणेश को सुख-संपदा का दाता माना जाता है, और उनके आशीर्वाद से परिवार में खुशहाली का संचार होता है। व्यापारी भी इस दिन अपने नए बहीखातों का आरंभ करते हैं और कारोबार में उन्नति की कामना करते हैं। दीपावली का यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन में सुख और शांति का प्रतीक भी है।
दिल्ली की दिवाली और प्रदूषण की चुनौती
दिल्ली में दिवाली का उल्लास हर साल की तरह इस बार भी देखा जा रहा है, लेकिन यहां के लोग प्रदूषण की चिंता से चिंतित हैं। पटाखों और आतिशबाजी से हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ने की संभावना है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। दिल्ली में सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए हैं और पटाखों पर प्रतिबंध लगाया है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक लोग इस बार ‘ग्रीन दिवाली’ मनाने पर जोर दे रहे हैं, ताकि पर्यावरण को हानि न पहुंचे और आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित पर्यावरण मिल सके।
गोवा में नरकासुर दहन की परंपरा
दक्षिण भारत के गोवा राज्य में दिवाली पर एक विशेष परंपरा का आयोजन किया जाता है। यहां नरकासुर दहन की परंपरा निभाई जाती है, जिसमें नरकासुर के पुतले को जलाया जाता है। यह परंपरा भगवान कृष्ण के हाथों राक्षस नरकासुर के वध की कथा से जुड़ी हुई है। गोवा के लोग इस परंपरा को बड़े उत्साह के साथ निभाते हैं और इस आयोजन को देखने के लिए पर्यटक भी बड़ी संख्या में आते हैं। यह दहन समारोह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है और लोगों में साहस व आत्मबल का संचार करता है।
प्रधानमंत्री मोदी की शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दीपावली के इस पावन अवसर पर देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने अपने संदेश में लोगों से सौहार्द और भाईचारे की भावना को बनाए रखने की अपील की है। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में यह भी कहा कि हमें समाज के कमजोर वर्गों और वंचितों की भी खुशियों का ख्याल रखना चाहिए, ताकि वे भी इस पर्व की खुशी में शामिल हो सकें। उनके इस संदेश को लोगों ने सामाजिक सरोकार की दृष्टि से सकारात्मक रूप में लिया है।
दिवाली का आर्थिक महत्व
दिवाली का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इस समय व्यापार में तेज़ी आती है। धनतेरस से लेकर दिवाली तक, लोग अपने घरों के लिए नए सामान खरीदते हैं, गहनों और इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर परिधानों तक की खरीदारी होती है। बाजारों में रौनक होती है, और दुकानदारों के लिए यह समय विशेष लाभकारी होता है। व्यापार में उन्नति की कामना के लिए व्यापारी विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन करते हैं और देवी लक्ष्मी से कृपा की प्रार्थना करते हैं।
दिवाली का सामाजिक संदेश
दिवाली का पर्व केवल पूजा और रोशनी तक सीमित नहीं है। इस पर्व का एक सामाजिक संदेश भी है, जो समाज में एकता, भाईचारा और मेलजोल की भावना को बढ़ाता है। इस दिन लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं, उपहार और मिठाइयां बांटते हैं और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं। यह पर्व सभी धर्मों और जातियों के लोगों को एकजुट कर एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटने का अवसर प्रदान करता है।
दिवाली का पर्व अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य, और दुःख पर सुख की विजय का प्रतीक है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि कठिनाईयों के बाद भी जीवन में उजाला आ सकता है, अगर हम धैर्य और विश्वास के साथ उसे स्वीकार करें। इसी भावना के साथ लोग दीप जलाते हैं और अपने जीवन में रोशनी का संचार करते हैं। यह पर्व सभी के जीवन में प्रेम, खुशी, समृद्धि और सफलता का संदेश लाता है, और हमें अपने भीतर अच्छाई के दीप जलाने की प्रेरणा देता है।
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