सारांश : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार कच्छ में भारतीय सैनिकों के साथ दिवाली मनाएंगे, वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अरुणाचल प्रदेश के तवांग में जवानों संग इस पर्व का आनंद लेंगे। यह देश की एकता और सुरक्षा बलों के प्रति सम्मान का प्रतीक है। पिछले वर्षों में भी प्रधानमंत्री मोदी ने सीमा पर तैनात जवानों संग दिवाली मनाने की परंपरा को निभाया है।
प्रधानमंत्री मोदी का दिवाली पर जवानों के साथ खास जश्न
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष दिवाली का पर्व भारतीय सैनिकों के साथ कच्छ, गुजरात में मनाने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री इस बार कच्छ के नलिया एयरफोर्स स्टेशन पहुंचेंगे और वहां से सीमा पर तैनात जवानों के साथ दिवाली का त्यौहार मनाएंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद यह पहला अवसर होगा जब मोदी गुजरात में सैनिकों के साथ दिवाली मनाएंगे। इससे पहले, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी उन्होंने स्थानीय सैनिकों के साथ यह पर्व मनाया था।
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा केवल एक धार्मिक पर्व का उत्सव नहीं, बल्कि देश के सैनिकों के प्रति उनके सम्मान और उनके बलिदान के प्रति आदर का प्रतीक भी है। देश की सुरक्षा में जवानों की भूमिका को विशेष मान्यता देने के उद्देश्य से मोदी हर वर्ष अलग-अलग सीमावर्ती क्षेत्रों में जाकर उनके साथ दिवाली मनाते हैं। इसके माध्यम से वे न केवल जवानों का हौसला बढ़ाते हैं, बल्कि एकता और भाईचारे का संदेश भी देते हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अरुणाचल यात्रा
दूसरी ओर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दिवाली का पर्व अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय सेना के जवानों के साथ मनाएंगे। इससे पहले रक्षा मंत्री असम के तेजपुर में सेना के जवानों के साथ मेघना स्टेडियम में दीपावली का जश्न मना चुके हैं। वहां उन्होंने जवानों के साथ डिनर भी किया और उन्हें उनकी सेवा के लिए धन्यवाद दिया। तवांग की यह यात्रा भारत की पूर्वोत्तर सीमाओं पर तैनात जवानों का मनोबल बढ़ाने के दृष्टिकोण से अहम है।
रक्षा मंत्री की तवांग यात्रा और प्रधानमंत्री मोदी की कच्छ यात्रा, दोनों ही देश की एकता और सैनिकों के सम्मान का संदेश देती हैं। ये यात्राएँ इस बात की प्रतीक हैं कि भारत अपने सैनिकों का हृदय से सम्मान करता है और उनके बलिदानों को कभी नहीं भूलता।
प्रधानमंत्री के पिछले दिवाली समारोह
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार सियाचिन की बर्फीली ऊँचाईयों पर तैनात सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी। इस पर्व के अवसर पर सैनिकों के साथ उनकी बातचीत और उनके अनुभवों को साझा करने की यह परंपरा तब से अब तक जारी है।
2015 में प्रधानमंत्री ने पंजाब में तीन युद्ध स्मारकों का दौरा किया और भारतीय सेना की 1965 के युद्ध में बहादुरी को सम्मानित किया। इसके बाद 2016 में हिमाचल प्रदेश में चीन सीमा के पास आईटीबीपी और डोगरा स्काउट्स के जवानों से मिलकर दिवाली मनाई। यह उनकी देश के जवानों के प्रति विशेष भावना का प्रतीक था।
2017 में उत्तर कश्मीर के गुरेज सेक्टर में, 2018 में उत्तराखंड के हर्षिल में, और 2019 में जम्मू-कश्मीर के राजौरी में सैनिकों के साथ दिवाली मनाते हुए उन्होंने उन सभी स्थानों पर जवानों का उत्साहवर्धन किया।
2020 में, उन्होंने लोंगेवाला सीमा चौकी पर जाकर जवानों से मुलाकात की और देश की सुरक्षा को लेकर उनकी निष्ठा और बलिदान की सराहना की। 2021 में नौशेरा, जम्मू-कश्मीर में दिवाली मनाने के बाद, पिछले साल 2023 में उन्होंने कारगिल में तैनात सैनिकों के बीच दिवाली मनाई थी, जहाँ उनका सैनिकों के साथ यह अनोखा जुड़ाव देखा गया।
प्रधानमंत्री का दिवाली संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर देशवासियों को दिवाली की शुभकामनाएँ दीं। अपने संदेश में उन्होंने सभी को दिवाली के इस पर्व पर समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन की कामना की। प्रधानमंत्री के इस संदेश में माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा से सभी के कल्याण की भावना शामिल थी।
सैनिकों के साथ दिवाली मनाने का महत्त्व
प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री सिंह द्वारा दिवाली के मौके पर जवानों के साथ समय बिताना उनके प्रति देश का सम्मान व्यक्त करता है। इन समारोहों से न केवल सैनिकों का मनोबल बढ़ता है, बल्कि राष्ट्र के लोगों को भी अपने सैनिकों के प्रति गर्व और आभार का अनुभव होता है। हर बार, जब प्रधानमंत्री सीमा पर तैनात सैनिकों के बीच पहुँचते हैं, वे उनके समर्पण की सराहना करते हुए उनके हौसले को बढ़ाते हैं। दिवाली पर प्रधानमंत्री का यह विशेष समारोह इस बात का प्रमाण है कि वे देश की सुरक्षा में लगे प्रत्येक जवान के साथ खड़े हैं और उनका समर्थन करते हैं।
राष्ट्रीय एकता का प्रतीक
प्रधानमंत्री मोदी की यह पहल देश की एकता और अखंडता का प्रतीक भी है। हर साल वे विभिन्न सीमावर्ती क्षेत्रों में जाकर जवानों के साथ इस पर्व को मनाते हैं। यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता के साथ-साथ एक प्रेरणादायक उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। यह कदम न केवल जवानों के लिए खास होता है, बल्कि देश की युवा पीढ़ी के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बनता है।
प्रधानमंत्री का यह प्रयास दर्शाता है कि हम अपने सैनिकों के योगदान को न केवल समय-समय पर स्मरण करते हैं, बल्कि दिवाली जैसे पावन पर्व पर उनके साथ एकजुट होकर उन्हें धन्यवाद भी देते हैं।
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